युवती को शादीशुदा आरक्षक ने फंसाया अपने प्रेम जाल में, शादी का झांसा दे किया दुष्कर्म

प्रदेश सरकार भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भांजियों की सुरक्षा के कितने भी दावे करती हो लेकिन हकीकत तो यह है कि मामा की भांजियां न्याय पाने के लिए भटक रहीं हैं। हद तो इस बात की है कि अब कानून के रखवाले ही खुद मामा की भांजियों के साथ गलत करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। इन्हें पूरा संरक्षण भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों का मिल रहा है। ताजा मामला चोरहटा थाना क्षेत्र का है। जहां पीडि़ता के साथ खुद पुलिस विभाग में पदस्थ्य आरक्षक ने धोखाधड़ी कर दुष्कर्म किया है। उक्त आरोपी आरक्षक के खिलाफ शिकायत भी थाने में दर्ज हो गई लेकिन अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने नहीं की है। छोटे मामलो में पुलिस कर्मियों को संस्पेंड करने वाले अधिकारी भी मौन साधे बैठे हैं और उनकी यह दोहरी कार्यप्रणाली कई सवाल खड़े कर रही है।

ख़बर विस्तार से
चोरहटा थाना क्षेत्र के रौसर में रहने वाली 31 वर्षीय महिला ने शिकायत कर बताया कि पुलिस लाइन में पदस्थ वाहन चालक आरक्षक राजेश साकेत पिता मंधारी प्रसाद साकेत निवासी ब्लॉक नंबर 460 मकान नंबर 28 जो कि हरिजन थाना रीवा में शिकायत करने गई पीडि़ता को वर्ष 2015 में मिला था, आरक्षक राजेश साकेत ने पीडि़ता की मदद करने के बहाने उसका नंबर ले लिया और पीडि़ता से बात करने लगा, आरोपी आरक्षक ने पीडि़ता को खुद को कुंवारा बताते हुए प्रेमजाल में फंसाया और शादी का प्रस्ताव रखा, पीडि़ता के घर वाले भी उसका विवाह करना चाहते थे इसलिए उनके द्वारा राजेश साकेत के प्रस्ताव को मना नहीं किया गया और इस तरह से राजेश पीडि़ता के घर आने-जाने लगा। इसी बीच पीडि़ता को शादी का झांसा देकर आरोपी राजेश साकेत ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और जब भी पीडि़ता शादी की बात करती वह इंकार कर देता। दबाव बनाने के बाद उसने महामृत्युंजय मंदिर में पीडि़ता के साथ हिंदू रीति रिवाज से 6 सितंबर 2019 को विवाह किया। जिसके बाद पीडि़ता को आरोपी आरक्षक ने अपने साथ 15 दिसंबर 2020 तक अपने शासकीय आवास में अपने साथ पत्नी बनाकर रखा लेकिन अचानक बाहर जाने की बात कहते हुए उसे वापस घर मायके छोड़ दिया और फिर कांटेक्ट करना बंद कर दिया। पीडि़ता जब शासकीय आवास पहुंची तो आरक्षक राजेश साकेत के पहले से शादीशुदा होने की पोल खुली।

कोर्ट में इंकार
पीडि़ता ने बताया कि आरोपी आरक्षक के घर से भगा देने के बाद पीडि़ता ने न्यायालय की शरण ली और न्यायालय ने पीडि़ता को 7 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए, 4-5 माह आरोपी ने दिया लेकिन फिर उसने यह कहते हुए बंद कर दिया कि वह उसे नहीं जानता। मामले में कोर्ट की दखल के बाद चोरहटा थाना में आरोपी अरक्षक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया लेकिन अब तक आरक्षक पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई।

घर में घुसकर जान से मारने की धमकी
पीडि़ता ने बताया कि आरोपी आरक्षक ने अग्रिम जमानत की अर्जी लगा रखी है, जिसमें उसके द्वारा आपत्ति की गई है, इससे नाराज होकर वह पीडि़ता के घर अपने पत्नी सहित अन्य लोगो के साथ पहुंचा और उसे मामला वापस लेने की धमकी दी। परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहा, कहता है कि वह पुलिस विभाग में है, उसका पुलिस भी कुछ नहीं कर पाएगी। पीडि़ता ने बताया कि उसकी पत्नी ममता साकेत से उसे चार बच्चे हैं जबकि 2 बच्चे रिकार्ड में दिखाकर नौकरी कर रहा है। पीडि़ता का आरोप है कि आरोपी आरक्षक को पुलिस अधिकारी संरक्षण दे रहे हैं, अब तक उस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

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