एक्टिविज्म का बड़ा असर, जल संसाधन विभाग मप्र के नए ईएनसी नियुक्त

पिछले 3 से 4  माह की मेहनत रंग लायी है। सामाजिक कार्यकर्त्ता और जल संसाधन विभाग बाणसागर और गंगा कछार के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता ने मिलकर जो मामला उजागर किया था उस पर अब कार्यवाही प्रारंभ हो गयी है। दिनांक 26/06/2023 को जल संसाधन विभाग के केंद्रीय और राज्य मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री मप्र शासन शिवराज सिंह चौहान और जल संसाधन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे गए ईमेल का यह परिणाम हुआ है की दूसरे ही दिन ही जल संसाधन विभाग मप्र शासन के ईएनसी की नियुक्ति कर दी गयी है। यह सब एक या दो दिन में नहीं हुआ है बल्कि पिछले 3 से 4 महीनो की भीषण गर्मियों में किये गए हाड़तोड़ मेहनत का परिणाम है की अब उच्च पदों पर बैठे हुए वरिष्ठ अधिकारियों की कानो में जूं रेंगना प्रारंभ हुई है और केन्द्रीय स्तर से मामले पर संज्ञान लिया जा रहा है।

शिशिर कुसवाहा होंगे जल संसाधन मप्र के नए ईएनसी
जल संसाधन विभाग के अवर सचिव दिलीप नाथ गाँधी का आदेश क्रमांक 945/1340747/2023/पी-1/31 भोपाल दिनांक 27/06/2023 के अनुसार शिशिर कुसवाहा को जल संसाधन विभाग मप्र शासन भोपाल का नया प्रभारी ईएनसी नियुक्त किया गया है। गौरतलब है की एक लम्बे अरसे से जल संसाधन विभाग के ईएनसी का पद खाली था और संविदा कल्चर को बढ़ावा देते हुए यहाँ भी एमएस डाबर को रिटायरमेंट होने के बाद भी ईएनसी का प्रभार दिया जाता रहा है। लेकिन जैसा की पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है की रीवा और शहडोल में बाणसागर योजनाओं से जुडी नहरों और कार्यों में व्यापक अनियमितता और गड़बड़ी देखी गयी थी जिसके बाद त्योंथर बहाव परियोजना के कांट्रेक्टर एचईएस कम्पनी को काली सूची में डाला गया लेकिन संविदा ईएनसी एमएस डाबर के द्वारा संविदा में रहते हुए पुनः बिना राष्ट्रीय फसल नुकसानी राशि 1715 करोड़ की भरपाई किये बिना ही एचईएस कम्पनी को बहाल कर दिया गया था जिसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्बारा शिकायत दर्ज कराई गयी थी। इसी प्रकार नईगढ़ी माइक्रो इरीगेशन फेज 1 एवं 2 में भी लेटलतीफी और गड़बड़ी के चलते 3 वर्ष की कॉन्ट्रैक्ट अवधि को 5 वर्ष 8 माह में भी पूर्ण न करने पर काली सूची में परिबद्ध कर दिया गया है जबकि 90 दिवस की अवधि में जेपी एसोसिएट्स अपील में जा सकती है। जेपी एसोसिएट्स को भी ईएनसी बहाल न कर दें और जल संसाधन विभाग के भ्रष्टाचार पर लगाम लगे इसके लिए पहले से ही शिकायत दर्ज कराई गयी जिसमे अब तक के जल संसाधन विभाग मप्र और विशेष तौर पर रीवा और शहडोल से सम्बंधित बाणसागर डैम और नहर मंडल से सम्बंधित परियोजनाओं को लेकर केस स्टडी किया जाकर पूरा व्योरा सम्बंधित वरिष्ठ अधिकारियों सहित जल संसाधन विभाग के केंद्रीय और राज्य मंत्रियों सहित वरिष्ठ अधिकारियों को ईमेल से भेजा गया था जिस पर तत्काल कार्यवाही करते हुए पहला एक्शन ले लिया गया जिसमें संविदा से हटकर अब एक परमानेंट ईएनसी शिशिर कुसवाहा को नियुक्त कर दिया गया है।

कई बिन्दुओं की है शिकायत, जल संसाधन विभाग के काले कारनामों का चिठ्ठा खोलती है यह कंप्लेंट
देखा जाय तो शिवानंद द्विवेदी द्वारा केंद्रीय और राज्य मंत्रियों सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गयी शिकायत में पूरे मप्र के जल संसाधन विभाग के कई गडबडियों का काला चिठ्ठा है। इसमें सबसे बड़ी बात तो यही है की जिस त्योंथर बहाव परियोजना में एचईएस इंफ्रास्ट्रक्चर को ब्लैक लिस्ट करते समय जिस 1715 करोड़ रूपये कृषि नुकसानी का जिक्र किया जाकर राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में बताया गया वहीँ नईगढ़ी माइक्रो इरीगेशन मामले में  जेपी एसोसिएट्स को ब्लैक लिस्ट किये जाते समय ऐसे किसी भी प्रकार के राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में क्षति का कोई जिक्र नहीं किया गया। जिससे संदेह स्पष्ट है की कम्पनी को उपकृत किया गया। इसी प्रकार न तो एचईएस इंफ्रास्ट्रक्चर को और न ही जेपी एसोसिएट्स को किसी प्रकार से जुर्माना लगाया गया और न ही शास्ति लगाई गयी।

पिछले 3 से 4 महीनों में जिस प्रकार से रीवा संभाग के नहरों और बांधों का दौरा किया जाकर माइनर टैंक और नहरों के बेहाल स्थिति को मीडिया आदि के माध्यम से दिखाया गया और तत्पश्चात इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों को की गयी इससे केंद्रीय स्तर तक के मंत्रियों और अधिकारियों के कान खड़े होना स्वाभाविक है।

दर्जनों मुद्दों पर अब भी कार्यवाही होना शेष
अब बड़ा सवाल यह है की जल संसाधन विभाग अपनी अधूरी पड़ी परियोजनाओं के लिए अब आगे क्या करता है और जिन कंपनियों ने पैसा खाकर काम अधूरा छोड़ा है और जिन्हें ब्लैक लिस्ट किया गया है क्या कार्यवाही ब्लैक लिस्टिंग तक ही सीमित रहती है और उन्हें बहाल करने का खेल खेला जाता है अथवा इसे आगे बढाया जाकर शास्ति भी लगाई जाती है। इसी प्रकार नहरों, बांधों और अन्य कई बाणसागर से जुड़े घोटालों को लेकर अब बड़ी कार्यवाही का इन्तेजार सभी को रहेगा। बहरहाल सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी और जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड वरिष्ठ इंजीनियरों के सर्वे और एक्टिविज्म का ही परिणाम है की अब जल संसाधन विभाग को अपना मुह छुपाने की जगह भी नसीब नहीं हो पा रही है और उनके पास इन खुलासों का कोई जवाब भी नहीं है। जाहिर है कहते हैं की तस्वीरें सब बयान करती हैं और यहाँ तो तस्वीर ही नहीं पूरे जिले की विडियो रिकॉर्डिंग ही प्रस्तुत कर दी गयी है जिसमे जल संसाधन विभाग कैसे अपने दायित्यों के प्रति नाकाम रहा है सबने देखा है।

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