मध्यप्रदेश की जनजातियों में गोड़ जनजाति का प्रमुख स्थान है। मध्यप्रदेश के सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, मण्डला, डिण्डौरी, जबलपुर, पन्ना, सिवनी, बालाघाट, बैतूल सहित अनेके जिलों में गोड़ जनजाति बहुतायत में पाई जाती है। गोड़ राजवंश का साम्राज्य 52 गढ़ों में विस्तृत था। इस साम्राज्य में 64 गोड़ राजाओ ने लगभग 1400 वर्षों तक शासन किया। इनमें महाराजा संग्राम सिंह, राजा दलपत शाह, राजा वीर नारायण सिंह, राजा चन्द्रशाह, राजा हिरदेह शाह तथा रानी दुर्गावती प्रमुख हैं। पूरे देश में अंग्रेजों के विरूद्ध हुई 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में गोड़ राजा शंकरशाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह ने अपने प्राणों का बलिदान दिया।
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को मध्य भारत के प्रमुख किलों में से एक कालिंजर किले में हुआ। इनका विवाह मण्डला के गोड़ राजा संग्राम शाह के पुत्र राजा दलपत शाह से हुआ। दलपत शाह की मौत के बाद रानी दुर्गावती ने गोड़ राजवंश में सन 1550 से 1564 तक शासन किया। उनका शासन काल अत्यंत सफल रहा। मुगल बादशाह अकबर ने अपने साम्राज्य विस्तार की नीति के तहत सरदार आसत खां को बड़ी सेना के साथ मध्य भारत पर आक्रमण करने के लिए भेजा। मुगल सेना ने रानी दुर्गावती के गढ़ को घेर लिया। कई दिनों तक भीषण संघर्ष हुआ। रानी दुर्गावती ने अप्रतिम साहस और बहादुरी के साथ अपनी सेना का नेतृत्व किया। उनके युद्ध कौशल के समक्ष मुगलों को कई बार असफलता का स्वाद चखना पड़ा। अंतत: 24 जून 1564 को मुगलों से संघर्ष करती हुई रानी दुर्गावती जबलपुर जिले के नर्राई नाला क्षेत्र में शहीद हो गईं। रानी दुर्गावती को आज भी पूरा क्षेत्र विशेषकर गोड़ जनजातीय समाज अपनी रानी, संरक्षिका और देवी के रूप में पूजा करता है। रानी दुर्गावती के बलिदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश में पाँच स्थानों से वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा निकाली जा रही है। यात्रा का शुभारंभ 22 जनू को बालाघाट में केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने किया है। इसके अलावा दमोह जिले के सिगरामपुर जबेरा, कालिंजर, छिंदवाड़ा तथा सिंगरौली जिले के धौहनी से भी जनजातीय गौरव यात्राएं निकाली जा रही हैं। इनका समापन 26 जून को शहडोल में होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शहडोल में आयोजित विशाल सम्मेलन में जनजातीय गौरव यात्रा का 27 जून को समापन करेंगे।