हनुमना। पिछले कई एपिसोड में आपने देखा कि किस तरह से मऊगंज और हनुमना क्षेत्र में दर्जनों बांध खतरे में हैं। इसका एक बड़ा कारण है कमीशनखोर अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार और भ्रष्ट नेताओं की जुगलबंदी से किस प्रकार निर्माण कार्य के लिए आई राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। जिसका नतीजा यह हुआ कि जो राशि बांध और नहरों के निर्माण और रखरखाव में लगाई जानी थी वह भ्रष्ट अधिकारियों ठेकेदारों की जेब भरने में लग गई। किसानों की आय दोगुनी करने के जुमले मात्र जुमले ही रह गए और अधिकारी ठेकेदार आसामी बन गए। पटवारी और चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारियों के ऊपर तो एंटी करप्शन ब्यूरो और लोकायुक्त के छापे तो आप खूब सुनते होंगे लेकिन बड़े आईएएस अधिकारियों और टॉप लेवल पर बैठे हुए अरबपतियों और खरबपतियों के ऊपर क्या कभी ऐसे छापे पड़े हैं जरा इस पर भी गौर करिए। किसानों को बांध और नहरों से पानी मिलने का सपना मात्र सपना रह गया जबकि सिंचाई योजनाओं के नाम पर बहाए गए पानी की तरह पैसे भ्रष्ट नेताओं ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों के के महल बनाने में जरूर लग गए। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा का बाणसागर नहर मंडल परियोजना के उन लगभग 80 अधिकारियों के ऊपर एफ आई आर तो आपको याद ही होगा। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं की जल संसाधन विभाग में बांधों और नहरों के लिए आने वाले पैसे का किस कदर बंदरबांट किया जा रहा है।
जूड़ा बांध बयां कर रहा अपनी बदहाली की दास्तान
खैर अब आगे बढ़ते हैं और एक बार पुनः आ जाते हैं हनुमना तहसील के जूड़ा बांध में जो बेलहा ग्राम के पास स्थित है। आप यहां पर देख सकते हैं कि रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा और चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के साथ कैसे जूड़ा बांध की दुर्दशा की कहानी अपनी जुबानी बता रहे हैं। जूड़ा बांध से संबंधित पिछले 2 एपिसोड में जहां आपने वेस्ट वियर और घटिया पिचिंग की जानकारी प्राप्त की वहीं इस एपिसोड में आप लाइव टेलीकास्ट देखेंगे कि किस प्रकार बांध की अपोजिट साइड की दीवाल कॉम्पेक्शन और रखरखाव न होने की वजह से कैसे पानी के कारण कट रही है और उसमे बड़ी-बड़ी नालियां बन गई हैं। लोगों को आश्चर्य नहीं होगा यदि अगले कुछ वर्षों में बांध की दीवार कमजोर होकर पूरी तरह से बह जाए।।
बोल्डर टो के ऊपर बांध में बन गई बड़ी बड़ी नालियां आखिर इसके लिए कौन है जिम्मेदार ?
अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि बांध के दूसरे साइड में पिचिंग के तौर पर लगाए गए बोल्डर टो के ऊपर समानांतर तौर पर बड़ी बड़ी नालियां बन गई है जिसका तात्पर्य यह हुआ कि पानी का स्टोरेज होकर समय के साथ बांध का बेस कमजोर होगा और बाद में इसके धंस जाने की संभावना बनी हुई है। अमूमन किसी भी बांध में तकनीकी तौर पर ऐसा नहीं होना चाहिए और इसके लिए रखरखाव के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की जाती है लेकिन क्योंकि विजय मिश्रा जैसे ठेकेदारों ने बांध के लिए आई राशि का बंदरबांट कर लिया और जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट अधिकारी आंख कान बंद कर बैठे रह गए जिसका नतीजा हुआ कि समय के साथ जूड़ा बांध कमजोर हो गया।
हनुमना के जूड़ा बांध में भी नही हैं क्रॉस और लोंगिट्यूडनल ड्रेन
जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने हनुमना के जूड़ा बांध में भी बताया कि बेलहा बांध की तरह यहां भी क्रॉस ड्रेन और लोंगिट्यूडनल ड्रेन नहीं बनाई गई है। यदि यह ड्रेन कभी प्रारंभ में बनाई भी गई होगी तो क्योंकि उसका रखरखाव समय के साथ नहीं हुआ इसलिए वह डैमेज हो गई जिसका नतीजा यह हुआ कि पानी के बहाव के साथ बांध की दूसरी साइड की दीवाल कटती गई और अब तलहटी में चलकर एक दलदल जैसी स्थिति निर्मित हो गई है जिसके कारण दलदल का पानी बांध के नीव को अब कमजोर कर रहा है। अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि यदि इसी प्रकार से स्थिति बनी रही तो आगे कुछ ही वर्षों में बांध की दीवाल पूरी तरह से कमजोर हो जाएगी टूटकर बहने की संभावना बनी हुई।
देखिए इस विशेष एपिसोड में आपको अधीक्षण अभियंता नागेंद्र मिश्रा एवं चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार शिवानंद द्विवेदी के साथ बता रहे हैं कि बांध से संबंधित अभी भी क्या-क्या दिक्कतें हैं।
बने रहिए हम आपको वर्तमान सरकार के अमृत काल में लाते रहेंगे बांधों और नहरों से संबंधित इसी प्रकार की खास जानकारी। ( शिवानंद द्विवेदी, आरटीआई एक्टिविस्ट )