बेलहा डैम : इंजीनियरिंग का इतना घटिया नमूना देख सभी हैरान

पिछले कुछ एपिसोड में आपको रीवा जिले के मऊगंज तहसील में जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट इंजीनियरों की मिलीभगत से बनवाए जा रहे बांधों के विषय में लाइव वीडियो दिखाए जा रहे हैं। उसी सिलसिले में इस बार आपको हम बेलहा डैम के अंदर एक हैरतअंगेज कारनामे के विषय में भी आज अवगत कराएंगे।

मऊगंज के बेलहा डैम को बना दिया कूड़ादान, डैम खुदाई का पूरा गार्बेज मटेरियल डाल रहे बेलहा डैम में
जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार और एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी बेलहा डैम की फ्लॉप स्टोरी और बर्बादी की दास्तान पर जब रिसर्च किए तो उसमें जल संसाधन विभाग के कमीशनखोर अधिकारियों भ्रष्ट ठेकेदारों और नेताओं की जुगलबंदी की एक-एक कर परत खुलने लगी। आप आज इस एपिसोड में कुछ ऐसे वीडियो देख रहे होंगे जिसमें डैम के अंदर खुदाई का पूरा गार्बेज मटेरियल डैम के अंदर ही भर दिया गया है। अब आप सोचिए कि यह कहां की इंजीनियरिंग है कि जिस बांध की खुदाई हो रही है उसके गार्बेज मटेरियल को उसी बांध के भीतर भर दिया जाए। जाहिर है पानी निकासी के लिए बनाए जा रहे पाइप सिस्टम में जब यह गार्बेज मटेरियल पानी के दबाव में सप्लाई लाइन से टकराएगा तो यह पूरे वाटर सप्लाई सिस्टम को बंद कर देगा जिसकी वजह से पूरा कंस्ट्रक्शन वर्क बर्बाद हो जाएगा। सवाल यह है इस कार्य की मॉनिटरिंग करने के लिए जल संसाधन विभाग के उपयंत्री और एसडीओ निगरानी करते हैं और इनकी देखरेख में काम किया जाता है लेकिन जैसा कि यहां पर यह बहुत अच्छी तरह से देखा जा सकता है कि मौके पर न तो कोई जल संसाधन विभाग का इंजीनियर मौजूद था और न ही कोई ऐसे अधिकारी जो यह बताएं कि काम किस प्रकार से किया जाना है। काम के दौरान ठेकेदार के व्यक्ति भी मौजूद नहीं थे और मात्र कुछ लेवर थे जिनके हवाले सिंचाई परियोजना से संबंधित इतने महत्वपूर्ण काम को छोड़ दिया गया था। चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार ने मौके पर पानी सप्लाई के पाइप लाइन की साइड वॉल को लेकर भी प्रश्न खड़े किए और जिस प्रकार उसकी विंग वाल नहीं बनाई गई है इससे पानी के दबाव में क्षतिग्रस्त होने की संभावना है। मौके पर कुछ ऐसा भी मटेरियल देखने को मिला जो पूरी तरह से गुणवत्ताविहीन था जिसको लेकर सवाल खड़े किए गए। मटेरियल को हाथ में उठाते हुए चीफ इंजीनियर ने कहा कि ऐसे ही मटेरियल लगाने का परिणाम है कि आज बांध टूट गए हैं और उनसे बूंदों में सिंचाई का पानी किसानों को नहीं मिल रहा है।

सिंचाई परियोजना से संबंधित नहरों और बांधों के इतने महत्वपूर्ण काम को किस प्रकार भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से पलीता लगाया जा रहा हैं और कैसे बाणसागर परियोजना, त्यौंथर बहाव और 1600 करोड़ की नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन कि अरबों खरबों की सिंचाई परियोजनाओं के बावजूद भी किसानों को क्यों बूंदों में पानी नहीं मिल पा रहा है ? ( एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी )

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