क्या हुआ जब दोनो आंखों से दिव्यांग ने रीवा सीईओ से मागीं सड़क

एक बार पुनः बारिश का दौर आने वाला है और आषाढ़ लगते ही गांव क्षेत्रों की सड़कों में चलना मुश्किल हो जाएगा। कारण साफ है यहां का सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर। यूं कहें तो स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर आज 8 दशक व्यतीत होने को हैं और ग्रामीण विकास के नाम पर सड़क बिजली पानी आवास के नाम पर योजनाओं की भरमार लगी हुई है लेकिन यह योजनाएं भौतिक धरातल पर कितनी कारगर साबित हो रही हैं इसे देखने के लिए रीवा जिले के गंगेव जनपद की ग्राम पंचायत बांस मदरी और हीरूडीह के बीच की पीडब्ल्यूडी सड़क बांस-पुरवा-हीरूडीह को जरूर देखा जा सकता है। यह एक ऐसी सड़क है जो रीवा जिले कि हजारों ऐसी बदहाल पड़ी हुई ग्रामीण सड़कों का स्वरूप बयान कर रही है। यह सिर्फ सड़कों की तस्वीर नहीं है बल्कि यह सरकार का भी चरित्र है और शासन प्रशासन पर बैठे हुए उन कमीशनखोर आला अधिकारियों का भी जिनके सहयोग से भ्रष्ट जनप्रतिनिधि और ठेकेदार मिलकर कैसे आधारभूत संरचना के विकास के लिए आने वाली ग्रामीण विकास योजनाओं की राशि को चूना लगा रहे हैं उसका एक जीता जागता उदाहरण भी यह प्रस्तुत करता है।

दोनों आंखों से दिव्यांग बुजुर्ग ने सीईओ जिला पंचायत से मांगी सड़क, अब तक मिला मात्र आश्वासन
इस बीच हम आपको बता दें कि 2 मई को पुरवा ग्राम के बुजुर्ग और दोनों आंखों से दिव्यांग दलपत प्रताप सिंह गांव के अन्य गणमान्य लोगों के साथ उपस्थित होकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा संजय सौरव सोनवणे के पास जाकर उनसे चलने के लिए सड़क की माग रखी। बुजुर्ग ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा की उनके जन्म से लेकर आज तक भठवा को जोड़ने वाली बांस पुरवा हीरूडीह सड़क का काम नहीं हो पाया है। थोड़ी ही बारिश होती है तो लोगों के लिए आवागमन बाधित हो जाता है। इस बीच पिछले दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण रोड की बदहाल स्थिति को जिला पंचायत सीईओ को भी वीडियो के माध्यम से दिखाया गया कि किस प्रकार थोड़ी सी बारिश में ही सड़क के हाल बेहाल हैं। जाहिर है ऐसे में यदि कोई एंबुलेंस किसी मरीज को लेने आती है अथवा बच्चों को स्कूल भेजना है या फिर बुजुर्ग लोगों को ही कहीं जाना है तो ऐसे में इस सड़क पर आवागमन नामुमकिन हो जाता है।

इसमें सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी भी उपस्थित थे और उन्होंने सीईओ जिला पंचायत को जिले की ऐसी सैकड़ों सड़कों के विषय में अवगत कराया और कहा कि इनका सर्वेक्षण करवाया जाकर नए सिरे से उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग टीम गठित कर निर्माण कार्य पूर्ण करवाया जाए और जो राशि इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़क डेवलपमेंट के लिए आ रही है उसका सही और सटीक उपयोग किया जाए। ऐसा नहीं है कि सड़कों और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए सरकार ने पैसे नहीं भेजे हैं। यदि देखा जाए तो पिछले 7 दशक से ग्रामीण विकास के लिए योजनाओं की भरमार रही है लेकिन सवाल यह रहा है की योजनाओं के नाम पर जनता के टैक्स के पैसे की किस तरह लूट मची हुई है उसे हम जगह जगह देख सकते हैं।

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