बीते 10 अप्रैल को जिला पंचायत रीवा की सामान्य सभा की बैठक विवादों के बीच हुई। सूत्रों के मुताबिक जिला पंचायत सामान्य सभा बैठक में वार्ड क्रमांक 15 जिला पंचायत सदस्य लालमणि त्रिपाठी के द्वारा कुछ मामलों को उठाया गया जिसके बाद बहस के दौरान बातें बिगड़ गईं और आरोप-प्रत्यारोप के बीच जिला पंचायत सदस्य लालमणि त्रिपाठी बाहर निकल कर सीईओ जिला पंचायत संजय सौरव सोनवणे की गाड़ी के सामने आकर धरने पर बैठ गए। बताया गया की इसके उपरांत सीईओ जिला पंचायत जब बैठक से बाहर निकले तो गाड़ी में बैठकर निकलने लगे जिसमें गाड़ी से लालमणि त्रिपाठी के शरीर के कुछ हिस्से में धक्का लगा जिसके बाद सभी जिला पंचायत सदस्य सदस्यों ने इसका प्रोटेस्ट किया और काफी देर तक गहमागहमी चलती रही। बताया गया कि बाद में मान मनौवल के बाद मामला शांत हुआ। हालांकि पूरे मामले में दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान आए जिसमें एक तरफ से तो आरोप लगाए गए तो दूसरी तरफ से आरोपों का खंडन भी किया गया।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को विकास के लिए और भ्रष्टाचार के विरुद्ध एकजुटता से कार्य करना चाहिए
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कहा की चाहे वह जिला पंचायत सदस्य हों या कोई अन्य जनप्रतिनिधि वह सभी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के द्वारा चुनकर आते हैं। इस बीच उन्हें जनता से जुड़े हुए सभी वाजिब मुद्दे सामान्य सभा में रखने का पूरा अधिकार है और उनका नैतिक दायित्व भी बनता है। सामान्य सभा की बैठक लोकतांत्रिक तरीके से आयोजित की जानी चाहिए जिसमें सदस्य अपने प्रस्ताव और जनता के हित की बातें सभा में रखें और उपस्थित सदस्य एवं जिला पंचायत सीईओ मामले को समझें और उसी गंभीरता के साथ उस पर चर्चा भी की जाए। सदस्यों का यह भी दायित्व होता है कि वह किसी भी प्रकार से अनैतिक अथवा कानून से हटकर कोई भी बात सभा में न रखें जिससे सभा की गरिमा को ठेस पहुंचे। और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत का नैतिक और कानूनी दायित्व बनता है कि वह भी गंभीरता के साथ सदस्यों की बातों को सुने समझे और समयबद्ध तरीके से उसका निदान करें।
जिला पंचायत सदस्य जनता के प्रतिनिधि तो सीईओ जिला पंचायत प्रशासनिक मशीनरी के महत्वपूर्ण अंग
सदस्य जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए जनता की सभी समस्याएं और बातें प्रशासन के समक्ष रखना उनका नैतिक दायित्व है और इसीलिए जनता चुनकर उन्हें सामान्य सभा में भेजती है। कोई भी वरिष्ठ अधिकारी चाहे वह आईएएस हो अथवा आईपीएस सभी मेहनत कर प्रशासनिक सेवा में आते हैं और उनके मन में भावना और जज्बा होता है कि देश के लिए बड़ा काम करेंगे। सामाजिक बुराइयों को खत्म करने और प्रशासनिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने एवं सुशासन और कानून व्यवस्था बनाए रखने में हमेशा तत्पर रहेंगे। लेकिन आज जो देखने को मिल रहा है की पूरा सिस्टम कमीशनखोरी में चल रहा है और आम जनता की समस्याएं नहीं सुनी जा रही है। आज कई जनप्रतिनिधि अथवा प्रशासनिक पदों पर बैठे हुए अधिकारी सभी अपने मूल दायित्व और कर्तव्यों को भूल कर अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। जनता शिकायतों को लेकर दर-दर भटक रही है और जनता के टैक्स के पैसे से पेमेंट पाने वाले वरिष्ठ पदों पर बैठे हुए प्रशासनिक अधिकारी जो लोक सेवक की श्रेणी में आते हैं अपने आप को राजा मान बैठे हैं। ऐसी भावनाओं से भी अधिकारियों को दूर रहना पड़ेगा और उन्हें अपने मन में लोक सेवक का भाव ही बनाकर कार्य करना पड़ेगा तभी व्यवस्थाएं सुदृढ़ होंगी और दैत्य की तरह मुंह फैला रहे इस भ्रष्टाचार और अराजकता से निजात मिलेगी।
पंचायतों में फैल रहा व्यापक भ्रष्टाचार, जिम्मेदार बने मूक दर्शक
जहां तक सवाल पंचायती कार्यों का है तो यह आज सर्वविदित है की पंचायतों में चाहे वह मनरेगा हो अथवा वित्त आयोग या फिर विधायकों और सांसदों द्वारा दी जाने वाली निधियां सभी में व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार है। जनता के विकास के लिए आने वाली जनता के टैक्स के पैसे से बनाई जाने वाली योजनाओं पर बंदरबांट हो रहा है। आज यदि हम किसी भी गांव में चले जाएं तो बरसात के दिनों में सड़कों से पार पाना मुश्किल हो जाता है। कीचड़ से सनी हुई सड़कें, मूलभूत सुविधाओं का अभाव, घटिया गुणवत्ता के काम यह सब अब आम बात है पर कहने को तो हम स्वतंत्रता प्राप्ति का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।
ऐसी परिस्थिति में जाहिर है की जनता के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि और जिला पंचायत सदस्य एवं उच्च पदों पर बैठे हुए प्रशासनिक अधिकारी जिला पंचायत सीईओ जिला कलेक्टर अथवा अन्य वरिष्ठ अधिकारी सभी को देश और समाज के लिए मुस्तैद होकर काम करना पड़ेगा। मामलों को सामान्य सभा में उठाना पड़ेगा और जनता के विकास के लिए आने वाली राशि सही स्थान पर लगे और आम जनमानस को उसका फायदा मिले इसके लिए सदैव तत्पर रहना पड़ेगा। चाहे वह जिला पंचायत सदस्य हों अथवा किसी भी प्रकार के जनप्रतिनिधि या फिर वरिष्ठ पदों पर बैठे हुए आईएएस/आईपीएस अधिकारी सभी को अपने व्यक्तिगत अहंकार से दूर होकर और अहंकार की कुर्बानी देते हुए बढ़ते भ्रष्टाचार के विरुद्ध और सामाजिक हितों में एक साथ मिलकर काम करना पड़ेगा।
( शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता )