चाकघाट। स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को स्वच्छता के महत्व को समझाने और उन्हें उस दिशा में लीड करना है ताकि पूरे देश में स्वच्छता की स्थिति में सुधार हो सके। इस मिशन के तहत कई कदम उठाए गए हैं जैसे कि सफाई अभियान, शौचालय निर्माण, दूषित जल संयंत्रों के संशोधन, सड़कों की सफाई आदि। इस मिशन के अग्रदूत हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी थे। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता की गणना उस समय से ही शुरू हो गई थी जब सरकार ने इस मिशन के तहत बीते 5 सालों में भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में बहुत सारी सफाई अभियान चलाए जिनसे बहुत बड़ी मात्रा में कचरा संग्रहित हुआ था और लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी थी।
स्वच्छ भारत मिशन जो कि 2014 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था, देश में सफाई और स्वच्छता के मामले में जागरुकता लाने का लक्ष्य रखता था। हालांकि, इस अभियान को असफल बताना सही नहीं होगा, लेकिन इस मिशन की सफलता का स्तर थोड़ा कम है।
सिर्फ खानापूर्ति के लिए शौचालय, नहीं है पानी की व्यवस्था
स्वच्छ भारत मिशन को लेकर सबसे बड़ी बात यह है कि देश के प्रतिनिधि ने सफाई को लेकर जनजागरूकता के लिए स्वयं झाड़ू लेकर सफाई की थी। इस मिशन के सफलता के लिए पंचायतों में स्वच्छता ग्राहियों कि नियुक्ति भी कि गई। साफ – सफाई को लेकर सुबह से लेकर शाम तक देश के कोने – कोने में लोगों को जागरूक भी किया जाता रहा लेकिन फिर भी स्वच्छता एवं सफाई को लेकर शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान अपनी मंजिल से कोसों दूर है। ऐसा इसलिए क्यूंकि सार्वजनिक शौंचालय फिर चाहे वो चाकघाट बाजार में हो या बघेड़ी बाजार में या फिर सरकारी स्कूल – कॉलेज में, उनकी हालत खस्ता है। खास कर पुराने चौकी चाकघाट के पास स्थिति किराना बाजार का शौंचालय जिसमें पानी तक कि व्यवस्था नहीं है और गंदगी से पटा हुआ है। कई बार देखा गया कि कुछ लोग शौचालय कि बजाय बाहर ही फुर्सत हो रहे हैं। शौचालय की ऐसी हालत के वजह से दुकानदारों के साथ – साथ दूर – दराज़ से आये ग्राहकों को भी समस्या का सामना करना पड़ता है।

नालियों में भरा रहता है गन्दा पानी आती है दुर्गन्ध
बेहतर जल निकासी के लिए जगह – जगह नालियों का निर्माण किया गया लेकिन शायद निर्माण के समय तकनिकी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया। अगर दिया गया होता तो नालियाँ साफ – सुथरी होतीं और मोहल्ला स्वच्छ। चाकघाट और बघेड़ी के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ से तेज दुर्गन्ध आती है और पानी साल भर जमा रहता है। गंदगी की वजह से मच्छरों कि इतनी भरमार है कि कुछ पल ठहरना भी खतरे से खली नहीं और ऐसा चाकघाट और बघेड़ी दोनों ही जगहों पर देखने को मिलता है।

जनता जागरूक तो मिशन सफल
आसपास के कई इलाकों में यह पाया गया है की लोग अपने घर की गंदगी भी नालियों में बहा देते हैं जो की शौचालय में होनी चाहिए। साथ ही ऐसी चीज़ें भी नालियों में फेंक देते हैं जिनसे जल निकासी बाधित हो जाती है। अब ऐसे में शासन – प्रशासन चाहे जितना जोर लगा ले बिना जनता के सहयोग के स्वच्छ भारत अभियान को सफल नहीं बनाया जा सकता है।




