मध्य प्रदेश की मौत की घाटी के नाम से जानी जाने वाली मनगवां से चाकघाट वाया सोहागी पहाड़ में सोहागी एक डेथ प्वाइंट बन चुका है जहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अभी हाल ही में लगाए गए एक आरटीआई में जो जानकारी सामने आई थी उसमे जून 2019 से लेकर अक्टूबर 2022 के बीच में कुल 49 मौते 168 हॉस्पिटलाइज्ड एवं 255 सामान्य से गंभीर घायलों की संख्या बताई गई थी। हालांकि इस विषय पर विशेषज्ञों का यह मानना है की बंसल कंपनी और एमपीआरडीसी द्वारा उपलब्ध करवाया गया यह डेटा वास्तविकता से काफी कम था।
कलेक्टर एसपी के निर्देश हवा हवाई, जांच टीम की अनुशंसा पर बंसल ने नहीं दिया कोई ध्यान
गौरतलब है कि दिवाली 2022 के एक दिन पूर्व धनतेरस के दिन हैदराबाद से गोरखपुर की तरफ जाने वाली एक बस और ट्रेलर के बीच में सोहागी पहाड़ के बीचों बीच हुई भीषण टक्कर के बाद मनगवां से चाकघाट वाया सोहागी पहाड़ सड़क एक बार पुनः चर्चा का केंद्र बनी और कुछ जांच और कार्यवाहियां हुईं लेकिन आलम यह है कि कलेक्टर कमिश्नर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रीवा जोन और एसपी सभी के भ्रमण मीटिंग और निर्देश के बाद भी बंसल पाथवेज कंपनी के कान में जूं तक नहीं रेंगी और कार्यवाही के नाम पर हुआ यह की छोटे मोटे गड्ढे भर कर और जेसीबी से इधर उधर खरोच मारकर अपनी जिम्मेदारियां से कंपनी ने पल्ला झाड़ लिया।
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जांच में सड़क की ज्योमेट्री और डिजाइन को लेकर गड़बड़ी आई थी सामने
पिछली 5 सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट में सड़क की डिजाइन और ज्यामिति को लेकर गड़बड़ी सामने आई थी जिसके बाद रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर की अगुवाई में बनाए गए 5 सदस्यीय जांच दल ने अपनी अनुशंसा जारी करते हुए सुधार किए जाने के लिए कहा था लेकिन अब तक उस विषय पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इससे साफ पता चलता है की बंसल कंपनी की पकड़ के आगे शासन प्रशासन नतमस्तक हो चुका है।
मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट का अभी भी कोई रता पता नहीं
दिवाली के पूर्व की सड़क दुर्घटना के बाद कलेक्टर और कमिश्नर ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच भी बैठा दी थी लेकिन आलम यह है कि आज 6 माह व्यतीत हो जाने के बाद भी मजिस्ट्रेट की जांच का कोई रता पता नहीं है और फाइलें जैसे दफन करवा दी गई हैं। एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा लगाई गई आरटीआई में अभी मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट की जानकारी इसलिए नहीं दी गई क्योंकि जांच कंप्लीट ही नहीं हो पाई है। इससे साफ पता चलता है की स्वयं जिला प्रशासन भी कुछ कर पाने में अक्षम साबित हुआ है और मात्र मजिस्ट्रियल जांच की कागजी खानापूर्ति कर फुर्सत हो गया है।
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फिर किया दौरा, पैच वर्क के अतिरिक्त कोई सुधार नहीं
एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने अभी हाल ही में पिछले दिनों सोहागी पहाड़ की सड़क का दौरा किया और जो जानकारी सामने आई उसके वीडियो फुटेज और फोटो वगैरा भी बनाए गए हैं जिसमें स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि सड़क के बीचों बीच यथावत लहरनुमा और नालियां जैसी ऊबड़ खाबड़ आकृतियां बनी हुई हैं और कोई विशेष मेंटेनेंस का कार्य नहीं कराया गया है। नियमानुसार सोहागी पहाड़ की पूरी सड़क की ऊपरी परत निकालकर वापस मोटी परत चढ़ाई जानी थी लेकिन ऐसा कोई प्रयास बंसल कंपनी के द्वारा अब तक नहीं किया गया है और मात्र कुछ जगह पर पैच वर्क कर छोड़ दिया गया।
सोलर पैनल गायब, लाइट का कोई पता नहीं
उक्त जांच समिति की अनुशंसा में कलेक्टर ने सोहागी पहाड़ में दुर्घटना रोकने के लिए जगह-जगह विद्युतीकरण और सोलर पैनल लगाए जाने की अनुशंसा की थी लेकिन कुल पांच स्थान पर लगाए गए सोलर पैनल के मात्र खंबे ही देखे जा सकते हैं न तो वहां पर सोलर पैनल है और न ही उनमें लगाई गई लाइट बची है। गौरतलब है की राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 30 में पेट्रोलिंग और एंबुलेंस के लिए भी निर्देश दिए गए थे लेकिन सोलर पैनल गायब किया जाना स्पष्ट तौर पर बताता है की सड़क सुरक्षा से संबंधित कोई भी पेट्रोलिंग नहीं की गई जिसकी वजह से या तो चोर लुटेरे सोलर पैनल उखाड़ ले गए अथवा बंसल पाथवेज कंपनी ने स्वयं ही सभी सोलर पैनल हटा दिए।
सड़क में घाटी की तरफ बैरिकेड लगाए जाने का प्रस्ताव खटाई में
गौरतलब है की दुर्घटना के बाद बनाई गई जांच समिति की अनुशंसा के बाद घाटी की तरफ बैरिकेड भी लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन इस दिशा में अब तक कोई भी प्रयास नहीं किए गए हैं। घाटी में बैरिकेड लगाए जाने के पीछे का तर्क यह है कि यदि वाहन टकराकर अपना नियंत्रण खो देते हैं तो उस स्थिति में बैरिकेड उन्हें दुर्घटना होने से बचा सकता है। ( शिवानंद द्विवेदी, एक्टिविस्ट)