मनगवां तहसील को मऊगंज में जोड़कर जिला बनाए जाने के कयासों के बीच मनगवां के लोगों ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। मनगवां तहसील और गंगेव जनपद के नागरिकों ने कहा है कि मऊगंज जिला बने इसके लिए उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मऊगंज जिले में उन्हीं लोगों को और तहसीलों को जोड़ा जाए जो जिन्होंने पहले से मऊगंज जिला बनाए जाने और मऊगंज जिले में जोड़े जाने की मांग की थी। जाहिर है ऐसे में जनपद पंचायत मऊगंज, हनुमना एवं नईगढ़ी का नाम प्रमुखता से आता है और यही वह नागरिक थे जिन्होंने मऊगंज को अलग जिला बनाए जाने की भी मांग प्रमुखता से की थी।
गंगेव जनपद और मनगवां तहसील के लिए रीवा हेड क्वार्टर बेहतर विकल्प
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने अभी हाल ही में एक राष्ट्रीय अखबार में भोपाल से छपे खबर का हवाला देते हुए कहा की यह जानकारी प्राप्त हुई कि मऊगंज को अलग से जिला बनाए जाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिनांक 4 मार्च को मऊगंज दौरे के दौरान घोषणा करेंगे। अखबारों और लोकल मीडिया में खबर छपी थी कि मऊगंज जिला बनाए जाने में 4 विधानसभा क्षेत्र देवतालाब, मऊगंज, त्यौंथर और मनगवां को सम्मिलित किया जाएगा। बड़ा सवाल यह है कि मनगवां तहसील और मनगवां विधानसभा क्षेत्र के नागरिकों ने कभी भी रीवा से अलग जिला बनाए जाने की मांग नहीं रखी है। उसका एक बड़ा कारण यह भी है की एक बड़ी और प्रभावसील तहसील होते हुए रीवा हेड क्वार्टर से मनगवां का जुड़ाव बेहतर रहा है। अमूमन राजनीतिक उद्देश्यों के अतिरिक्त अलग जिला बनाए जाने की सरकार की मंशा के पीछे उस क्षेत्र विशेष का कम विकसित होना और बैकवर्ड होना बताया जाता है। जाहिर है ऐसे में हनुमना और मऊगंज ब्लॉक को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनकी दूरी रीवा हेड क्वार्टर से अधिक होने के कारण हनुमना और मऊगंज ब्लॉक क्षेत्र के लोगों की मांग काफी हद तक जायज हो सकती है। लेकिन मनगवां तहसील और गंगेव ब्लाक के लोगों द्वारा कभी भी रीवा जिले से इतर मऊगंज जिले अथवा अन्यत्र क्षेत्र में जोड़े जाने की कभी कोई मांग नहीं हुई। ऐसे में यदि वर्तमान सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह की सरकार अपने राजनीतिक उद्देश्य और राजनीतिक हितलाभ के लिए अलग से मऊगंज जिला बनाया जाकर मनगवां तहसील एवं गंगेव ब्लाक को भी मऊगंज से जोड़ देती है तो इसके लिए क्षेत्र के लोग आंदोलन करेंगे। यह भी स्पष्ट है कि जिस राजनीतिक लाभ के लिए सत्ताधारी सरकार ऐसा कृत्य कर रही है कहीं उसे राजनीतिक हार के तौर पर बड़ी कीमत भी न चुकानी पड़े।
शताब्दियों पुरानी भावनाओं को तार-तार नहीं कर सकती सरकार
लोगों का यह भी मानना है कि किसी जिले अथवा क्षेत्र विशेष से लोगों का जुड़ाव केवल प्रशासनिक और भौगोलिक मात्र ही नहीं रहता बल्कि उसके पीछे भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी रहता है। यदि बघेली और रीवा जिले की सांस्कृतिक और भौगोलिक स्थिति को देखा जाए तो इससे स्पष्ट है की रीवा शब्द नर्मदा नदी के एक अन्य नाम रेवा से उद्भव हुआ है और उसी का एक समयकाल के साथ अपभ्रंस है। रेवा अर्थात नर्मदा का जुड़ाव सनातन काल से है जहां रेवा को पवित्र गंगा नदी की बहन के तौर पर भी माना जाता है। पौराणिक बातों पर ध्यान दिया जाए तो रेवा अर्थात नर्मदा कुमारी नदी के तौर पर मान्य हैं और पवित्र गंगा नदी से भी श्रेष्ठ मानी जाती हैं। इस प्रकार भावनात्मक तौर पर रीवा जिले और क्षेत्र में लोगों का जुड़ाव सफेद शेर की धरती और राजवंशों की नगरी रही रीवा से अधिक निकट रहा है। ऐसा नहीं है कि मऊगंज अथवा हनुमना रीवा से अलग है लेकिन यह भी सत्य है की मनगवां और गंगेव क्षेत्र के लोगों के लिए जितना अधिक भावनात्मक लगाव रीवा से है उतना मऊगंज हनुमना से नहीं है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से जुड़े हुए सुदूर हनुमना और फिर मऊगंज क्षेत्र में मनगवां और गंगेव क्षेत्र के लोगों का आना जाना बहुत कम रहता है। और वहां इतनी सुविधाएं भी नहीं है जितनी रीवा नगरीय क्षेत्र में मिलती हैं। शिक्षण प्रशिक्षण के उद्देश्य से भी इस क्षेत्र के अधिकाधिक अभिभावक अपने बच्चों को रीवा नगरी क्षेत्र में ही पढ़ाते हैं और वही अपना प्लॉट और मकान भी ले लिए हैं और कई तो अपना व्यवसाय भी कर रहे हैं। कोई भी जिला अथवा नया प्रतिष्ठान बनाए जाने के पीछे का प्रमुख उद्देश्य विकास भी होता है और यदि उस उद्देश्य से भी देखा जाए तो गंगेव अथवा मनगवां क्षेत्र के लोग कम विकसित क्षेत्र मऊगंज की अपेक्षा अधिक विकसित और बेहतर जुड़ाव वाले रीवा नगर क्षेत्र की तरफ जाना और जुड़ना अधिक पसंद करेंगे। ( शिवानन्द द्विवेदी, आरटीआई राष्ट्रीय )