कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जब लाडली बहना योजना को लेकर जानकारी दे रहे थे, तभी मंच के नीचे बैठी एक महिला ने हंगामा करते हुए सीएम से कुछ कहना चाहा। महिला ने सीएम को बताया- अधिकारी नहीं सुन रहे। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उससे कहा- मैं आपकी बात बाद में सुनूंगा।
हंगामे के बाद पुलिस ने किया नजर बंद
जानकारी के मुताबिक़ हंगामा मचाने वाली महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। जिसे हंगामे के बाद पुलिस ने उसे नजरबंद कर दिया। महिला का दावा है कि भोपाल में 2 नवंबर 2022 को भी उसने सीएम से मुलाकात की थी। सीएम को आपबीती बताई थी। तब सीएम ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। 17 दिसंबर 2022 को भी वह सीएम हाउस मिलने पहुंची थी, लेकिन सीएम नहीं मिले। सूत्रों के मुताबिक़ आज हुए हंगामे के बाद सीएम ने इस मामले में अधिकारियों को एक कमरे में बुलाकर बात की है।
आत्मदाह की धमकी
जानकारी के मुताबिक़ महिला ने बताया- मैं कैंसर से लड़ रही हूँ और कटनी में रहती हूँ। दो साल पहले मेरे घर के सामने रहने वाले परिवार ने मुझे बेरहमी से पीटा था। अपराधियों को एसपी और टीआई अजय सिंह का बढ़ावा है। सीएम जब भी कटनी आते हैं तो एसपी और टीआई मुझे थाने में बंद कर देते हैं और मिलने नहीं देते। 17 नवंबर को भी जब मैं वापस कटनी लौटी तो आरोपी ने मेरे ऊपर जानबूझकर गाड़ी चढ़ा दी। सिर में 6 टांके आए थे। शरीर में बहुत चोटे आईं थीं। रीढ़ की हड्डी टूट गई। ठीक से चल नहीं सकती हूँ। अगर आरोपियों पर कार्यवाही नहीं होगी, तो सीएम हाउस में या सीएम की किसी भी सभा में आत्मदाह कर लूंगी।
एक नज़र
एक तरफ़ सरकार सुशासन का दावा कर रही है और दूसरी तरफ़ इस तरह के मामले में लीपा – पोती का आरोप कहीं न कहीं सुशासन पर सवाल उठा रही है। सूत्रों कि माने तो रीवा जिले में भी ऐसे बहुत से मामले हैं जिन पर कार्यवाई होना बाक़ी है और कुछ मामले तो ऐसे हैं कि पीड़ित को ही उल्टा फंसा दिया गया है। अब ऐसे में जाँच कौन करेगा जब आरोप उन्ही पर हो।
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