भूत बने चोर : ग्रामीणों ने कहा बागेश्वर बाबा के धाम में लगानी पड़ेगी अर्जी

गंगेव। अजब मध्यप्रदेश के गजब रीवा जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जिले के गंगेव जनपद की हिनौती ग्राम पंचायत के गदही ग्राम में वर्ष 2016-17 में बनाए गए मनरेगा योजना अंतर्गत 3 लाख 54 हजार की लागत से बनाए गए शांतिधाम को भूत लेकर उड़ गए हैं। मामला तब संज्ञान में आया जब कुछ चरवाहे लोग अपने मवेशी लेकर शांतिधाम के नजदीक मवेशी चराने गए तब उन्हे पता चला कि तेज हवा के झोंकों से फट-फट की तेज आवाजें आ रही थी जिससे वह डर गए। ऐसे में जब उनका ध्यान शांतिधाम की छत की तरफ गया तो देखा तो शांतिधाम की छत ही गायब है। छत गायब होने की सूचना उन्होंने ग्राम पंचायत में दी। इसके बाद बताया जा रहा है कि शमशानघाट में प्रेत बाधा होने के कारण भूत प्रेत छत उड़ा करके ले गए। ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव से शिकायत की गई तो उन्होंने बताया कि वह नहीं जानते कि छत कहां गई। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की मनरेगा योजना अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत में शांतिधाम अर्थात श्मशान घाट बनाए जाने का प्रावधान था जिसके तहत हिनौती ग्राम पंचायत के गदही ग्राम में भी वर्ष 2016-17 में तकनीकी स्वीकृत क्रमांक 1250 द्वारा एक शांतिधाम स्वीकृत हुआ था जिसे कुल लागत 3.54 लाख लगाकर बनाया गया है।

वास्तविक तथ्य घटिया गुणवत्ता की तरफ इंगित करते हैं
गौरतलब है कि केंद्र सरकार और मप्र शासन से पंचायती विकास कार्यों के लिए आने वाली करोड़ों की राशि भ्रष्टाचार की बलि चढ़ी रही है और आए दिन भ्रष्टाचार की खबरें मीडिया सोशल मीडिया में प्रकाशित होती रहती है। शांतिधाम योजना के तहत ग्राम पंचायतों में बनाए गए आधारभूत ढांचे को भी सरपंच सचिव ने नहीं छोड़ा और यहां भी भ्रष्टाचार कर दिया। वैज्ञानिक तौर पर भूत प्रेतों पर विश्वास नहीं किया जा सकता लेकिन ऐसे में यदि शांतिधाम उड़ा हुआ है और उसकी छत गायब है तो स्वाभाविक तौर पर घटिया गुणवत्ता और भ्रष्टाचार परिलक्षित होता है। हालांकि मामले की शिकायत भी की गई है लेकिन अब तक रीवा जिले में बनाए गए शांतिधामों की जांच नहीं हुई है।

सेदहा ग्राम पंचायत में भी चोरी गया था शांतिधाम
इसके पहले रीवा जिले के गंगेव जनपद की सेदहा ग्राम पंचायत में भी शांतिधाम चोरी का मामला आया था जिसमें ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि उनकी ग्राम पंचायत का शांतिधाम चोरी चला गया है क्योंकि जिस स्थल पर शांतिधाम बनाया जाना था वहां मौजूद ही नहीं था। और इस प्रकार मामले की जांच की गई और जांच में तकनीकी इंजीनियरों और कार्यपालन यंत्री स्तर के अधिकारियों द्वारा जांच की गई तो पता चला कि वास्तव में शांतिधाम सेदहा पंचायत की उस आराजी में था ही नहीं जहां के लिए स्वीकृत हुआ था। इसके बाद पूरे देश में मीडिया में खबर छाई रही और बाद में कुल 7 दोषी अधिकारियों जिसमें से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गंगेव और तत्कालीन सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, उपयंत्री, सहायक यंत्री सहित सहायक लेखा अधिकारी के विरुद्ध लाखों की वसूली बनाई गई।
( शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्त्ता )

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