एक ग्रामीण अंचल कि बच्ची जिसके घर कि आर्थिक स्थिति कमजोर हो, गरीबी की आग में बचपन जल गया हो और किशोर अवस्था में राक्षसों के द्वारा ग़लत काम किया गया हो, क्या मानसिक रूप से विकसित या समझदार हो सकती है ?
त्योंथर रीवा, मप्र। मामला है त्योंथर तहसील के पूर्वांचल में बसे रायपुर – सोनौरी क्षेत्र का। जहाँ दो लोगों द्वारा एक बच्ची को जबरन अपनी गाड़ी में बिठा लिया जाता है और फिर उसे डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है। फिर बारी – बारी से दोनों व्यक्तियों द्वारा लड़की के साथ गलत काम किया जाता है। इस दौरान आरोपियों की गाड़ी उस बच्ची को लेकर बड़ोखर, रतौरा मोड़, लेड़ियारी, खीरी जैसी जगहों से गुजरती है लेकिन कहीं भी किसी ने गाड़ी को रोका तक नहीं। शायद पुलिस के लिए पेट्रोलिंग भी एक चुनौती ही है।
पीड़िता और परिजनों ने बताया
ये मामला दिसंबर 28, 2022 का है जो पुलिस दस्तावेज में दिसंबर 29, 2022 को दर्ज हो जाता है। जिसमें पीड़िता और परिजन थाने पहुँच कर अपनी तहरीर देते हैं और बताते हैं उनके साथ ग़लत हुआ है।
पीड़िता ने बताया कि वो खेतों तरफ भाजी ( चने का साग ) के लिए गई थी। जहाँ से तक़रीबन साढ़े तीन बजे के आसपास वो वापस अपने घर के लिए लौट रही थी। उसी दौरान रास्ते में रोड के किनारे बच्ची के जान पहचान का एक भाई अपनी गाड़ी के साथ मिलता है। जो बच्ची को घर छोड़ने का जबरन दबाव बनाता है और उसका हाँथ पकड़कर अपनी गाड़ी में बिठा लेता है। गाड़ी में पहले से एक अन्य व्यक्ति भी मौजूद था, जिसे बच्ची पहचानती थी। जब गाड़ी घर के रास्ते के बजाय दूसरी तरफ घूमी तो बच्ची ने विरोध किया लेकिन दोनों आरोपियों ने बच्ची को डरा धमका कर चुप करा दिया। फिर उसके साथ बारी – बारी से ग़लत काम किया। बच्ची के अनुसार इस दौरान गाड़ी कई जगहों से गुजरी लेकिन कहीं भी कोई देखने – सुनने वाला नहीं था। देर रात बच्ची को अकेले मांगी गांव के नज़दीक जान से मरने कि धमकी देकर छोड़ दिया जाता है।
पुलिस रिपोर्ट में कुछ तो Missing है
परिजनों को जब पुलिस कार्यवाई से संतुष्टि नहीं हुई तो उन्होंने मीडिया का दरवाजा खटखटाया। पूरे मामले को लेकर जब सवाल – जबाव शुरू हुआ तो उनके द्वारा बताया गया, हम गरीब लाचार हैं इसलिए हमारे साथ ऐसा हो रहा है और केस को कमजोर किया गया। अगर पुलिस रिपोर्ट कि माने तो बच्ची के साथ सिर्फ छेड़छाँड़ हुई है जबकि बच्ची के और उसके पिता के बयान के अनुसार बच्ची के साथ दुराचार हुआ है। अब इन दोनों ही बयानों को अगर गंभीरता से देखा जाय तो काफी फर्क दिखाई देता है। जो अपने आप में कई सवाल पैदा कर देता है।
एक नज़र
पीड़िता के परिजनों ने अपने बयान में यह भी बताया है कि पुलिस द्वारा कई बार उनसे कोरे कागज में दस्तखत ली गई है और उन्होंने जो आपबीती पुलिस को बताई उसके अनुसार रिपोर्ट लिखी नहीं गई है। यहाँ तक कि परिजनों द्वारा यह भी बताया गया कि उन्हें मेडिकल न कराने कि सलाह दी गई थी। अब ऐसे में कई सवाल उठते हैं जिनका जबाव आसान नहीं है। जैसे मेडिकल रिपोर्ट, बच्ची को दर्द कि टेबलेट क्यों दी गई, दोनों आरोपियों कि गिरफ़्तारी, मौका मुआयना, आदि।
जबकि रायपुर – सोनौरी क्षेत्र में लगातार ऐसे मिलते जुलते मामलों कि खबरें मिल रही हैं बावजूद इसके आदतन अपराधियों में पुलिस अब तक अपना भय नहीं बना पाई है। फ़िलहाल पुलिस प्रशासन से उम्मीद है कि वो जल्द इस मामले को सुलझा कर पीड़िता को न्याय दिलाएगी।
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