मध्यप्रदेश शासन की नीतियों से आहत, पत्रकार संगठनों के बैनर तले सतना जिले के पत्रकारों ने भी भोपाल में जनसम्पर्क आयुक्त को सौंपा ज्ञापन, उक्त ज्ञापन में गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी सरकारी सभी व्यवस्थाएं प्रदान करने के अलावा पत्रकारों पर दर्ज होने वाले सभी फर्जी मामले वापस लेने के साथ राजपत्र में प्रकाशित नियमो के पालन सहित अन्य मांगो को पूरा करने की मांग की गई है, पत्रकारों के संगठन “आइसना” के बैनर तले एकजुट हुए सभी पत्रकारों का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव जी द्वारा किया गया।
पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अवधेश भार्गव के नेतृत्व में सैकड़ो पत्रकारो ने भोपाल जनसंपर्क कार्यालय का घेराव करते हुए अपनी 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन आयुक्त राघवेंद्र सिंह को सौंपा है। आपको बता दें कि विगत काफी समय से पत्रकार साथियों को विभिन्न मामलों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, सभी प्रशासनिक विभागों यहां तक कि राजनीतिक दलों को भी वेतन और भत्ते में वृद्धि मिली है, परंतु पत्रकारों की स्थिति इतनी दयनीय है कि वर्ष 2007 के बाद किसी प्रकार की विज्ञापन नीति में कोई फेरबदल नहीं किया गया। पिछले 16 वर्षों से पत्रकार जगत लगातार शोषित हो रहा है, इसमें मुख्य रूप से लघु और मध्यम वर्ग के पत्रकार लगातार पिसते जा रहे हैं, पुलिस प्रशासन द्वारा भी पत्रकार साथियों के खिलाफ बिना जांच किए ही सीधे प्रकरण दर्ज कर लिए जाते हैं , ऐसे में पत्रकारों को बेवजह परेशान करना और झूठे मुकदमे दर्ज करना प्रशासन को बंद करना होगा, ऐसे कई विभिन्न मामले हैं जिसे लेकर पत्रकार अन्दोलन कर रहे हैं। परंतु आज दिनांक तक उनके ऊपर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, ऐसे ही 12 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल के मालवीय नगर स्थित पत्रकार भवन के भूखंड से सैकड़ों की संख्या में पत्रकारो ने अपनी मांगों के लिए प्रशासन से हक मांगने के नारे लगाते हुए पैदल रैली के साथ मुख्य मार्गो से होते हुए जनसंपर्क कार्यालय पहुंचे, और ज्ञापन सौंपा गया, जिस पर त्वरित निराकरण करने के लिए कहा गया है।
क्या हैं 12 सूत्री मांगे
- पत्रकार सुरक्षा कानून शीघ्र बनाया जाए
- पत्रकार भवन का निर्माण शीघ्र प्रारंभ किया जाए
- लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को 2007 में राजपत्र में प्रकाशित नियमों के अनुसार 60000/- के विज्ञापन दिए जाने का प्रावधान है किंतु 17 वर्षों पश्चात चूंकि अखबारी कागज स्याही प्रिंटिंग एवं अन्य खर्चे महंगाई की वजह से काफी बढ़ गए हैं कम से कम 200000/- के विज्ञापन 1 वर्ष में दिए जाएं
- पत्रकारों की मृत्यु पर आश्रित परिवारों को 400000/- की जगह 1500000/- की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए एवं प्रावधानों में अविवाहित पत्रकारों के आश्रित माता-पिता को भी प्रावधान में शामिल किया जाए एवं मृत्यु प्रकरणों का एक माह के अंदर राजपत्र में प्रकाशित नियमों के अनुसार त्वरित निराकरण किया जाए
- स्वास्थ्य बीमा योजना में अधिमान्य पत्रकारों की भांति गैर अधिमान्य पत्रकारों के बीमा प्रीमियम की राशि शासन द्वारा समान रूप से भरी जावे
- जिन पत्रकारों को शासकीय आवास आवंटित है और जिन्होंने निजी आवास बना लिया है उनके आवास रिक्त कराकर आवासहीन पत्रकारों को आवंटित किया जावे
- अधिमान्य पत्रकारों का जनवरी 2023 में होने वाले नवीनीकरण में बिना पुलिस वेरिफिकेशन के नवीनीकरण नहीं किया जावे एवं प्रतिवर्ष अधिमान्य पत्रकारों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जाए
- सम्मान निधि पाने वाले पत्रकारों के समाचार पत्र के विज्ञापन बंद किए जावें क्योंकि यह दोहरे लाभ की श्रेणी में आता है
- सभी जिलों के जनसंपर्क अधिकारियों को निर्देशित किया जावे की साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक पेपर, पोर्टल यूट्यूब चैनल, न्यूज़ पोर्टल एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों के पीआरओ लेटर लेकर जिले में रिकॉर्ड अपडेट किया जाए
- माह में एक बार जनसंपर्क आयुक्त पत्रकारों से सामूहिक भेंट आयोजित करें
- संचालनालय में भंग समितियां, अधिमान्यता समिति, आर्थिक सहायता समिति, सम्मान निधि समिति को शीघ्र गठित किया जावे एवं पत्रकार संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित की जावे
- आंचलिक पत्रकारों को वेतन न देने वाले अखबारों व न्यूज चैनलों के विज्ञापन बन्द किये जावे
अब देखना ये है कि शासन – प्रशासन द्वारा गैर अधिमान्य पत्रकारों एवं ग्रामीण आंचलिक पत्रकारों को लेकर क्या दिशा निर्देश जारी होते हैं।