रीवा, मप्र। DPDP बिल 2022 की धारा 29(2) और 30(2) RTI कानून के लिए खतरा – शिवानंद द्विवेदी
डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल 2022 के माध्यम से भारत सरकार सूचना के अधिकार कानून 2005 की धारा 8(1)(जे) में गलत तरीके से संशोधन कर रही है जिसकी वजह से सूचना के अधिकार कानून प्रभावित होगा और आम जनता को जो जानकारी अब तक जद्दोजहद कर मिल जाया करती थी उसे प्राप्त करने में बेहद कठिनाई होगी।
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने डाटा प्रोटक्शन बिल 2022 के प्रस्तावित मसौदे पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा है कि इस बिल की धारा 29(2) और 30(2) के माध्यम से सरकार आरटीआई कानून को खत्म करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि जहां धारा 29(2) ओवरराइडिंग इफेक्ट रखती है जिससे यह कानून अन्य कानूनों पर सर्वोपरि होगा। वहीं धारा 30(2) आरटीआई कानून की धारा 8(1)(जे) जिसमें व्यक्तिगत लोकहित से जुड़ी हुई जानकारी दिए जाने का प्रावधान रहता है। वह भी अब आम व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो सकेगी। ऐसी जानकारी जो अब तक विधायकों और सांसदों को प्राप्त हो जाया करती थी, वह जानकारी भी अब आम नागरिक को प्राप्त नहीं होगी। कुल मिलाकर यदि डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटक्शन बिल 2022 का वर्तमान मसौदा पारित हो जाता है तो इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बड़ा आघात लगेगा।
शिवानंद द्विवेदी ने डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के वर्तमान मसौदे को वापस लेकर धारा 29(2) और 30(2) के साथ धारा 2(12)/2(13)/2(14) में भी पर्सनल डेटा की परिभाषा को भी संशोधित करने की माग की है। उनका कहना है कि यदि वर्तमान डाटा प्रोटक्शन बिल इस स्वरूप में पारित होगा तो उससे आरटीआई कानून खत्म हो जाएगा।