जवा, रीवा। हल्का पटवारी चौखंडी द्वारा फर्जी तरीके से किया गया नामांतरण विधवा बनी भूमिहीन
मिली जानकरी के अनुसार जवा तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत चौखंडी के हल्का पटवारी वीरेंद्र प्रजापति द्वारा फर्जी तरीके से गलत रिपोर्ट लगाकर जमीनों की हेरा-फेरी की है। संतोष देवी पत्नी स्वर्गीय पप्पू लाल गुप्ता के नाम आराजी नंबर 109 /2, 110 /2, 112 /2, 114/3, 9/3, 703/4 दर्ज है।
जैसा की बताया गया संतोष देवी के नाम भूस्वामी के रूप में 2020-21 तक उक्त आराजी क्रमांक दर्ज रहा है। लेकिन खसरा में चोरी-छिपे उक्त प्रकरण का आदेश क्रमांक ६५५/अ/ ६/2020-21 आदेश दिनांक 20 जनवरी 2022 को फर्जी तरीके से बिना भूस्वामी के सहमति एवं बिना जानकारी दिए हल्का पटवारी वीरेंद्र प्रजापति के द्वारा फर्जी प्रतिवेदन बनाकर पूर्व सुनियोजित तरीके से शिव लाल गुप्ता रामलाल गुप्ता तनय नत्थू लाल गुप्ता निवासी चौखंडी थाना पनवार तहसील जवा वृत्त अतरैला जिला रीवा को फर्जी तरीके से नामांतरण कर दिया गया और बेसहारा विधवा महिला को भूमिहीन बना दिया गया।
मामले की भनक लगते ही जब विधवा महिला ने प्रकरण क्रमांक 623 के फैसले की नकल हेतु आवेदन जवा तहसील में लगाया तो जानकारी दी गई “उक्त फाइल कार्यालय में मौजूद नहीं है।” जिसकी वजह से विधवा आवेदिका को अब तक नकल प्राप्त नहीं हो पाई है।
आख़िर इस खेल में और कितने लोग शामिल हैं , जो ऐसे असहाय , बेसहारा लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और फिर दफ्तरों के चक्कर काटने के लिए अकेला छोड़ देते हैं ?
अब सोचिये एक अकेली विधवा महिला के पास सम्मान के साथ जीने के लिए पति या पुरखों से कुल 6 किता रकबा 0.483 हेक्टेयर मिला था , उसे भी पटवारी के लालच ने महिला से छीन लिया और कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं। तो आप कल जब ऐसे ही असहाय होंगे तो कौन देगा आपका साथ ?
आवेदिका संतोष देवी पत्नी स्वर्गीय पप्पू लाल को अपने ही भूमि से बेदखल कर दिया गया। यह जानकारी आवेदिका के भाई द्वारा पुरे दस्तावेज के साथ हम तक पहुंचे गई है। आवेदिका के भाई ने बताया – उनकी बहन तहसील का चक्कर काट रही है। फर्जी शपथ पत्र दस्तावेज लगाकर के हल्का पटवारी एवं नायब तहसीलदार उमेश तिवारी की मिलीभगत से जमीन से उनकी बहन को बेदखल कर दिया गया और अब वो अकेले सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी की बेवा संतोष कुमारी को न्याय कब मिलेगा और फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाकर उपरोक्त नामों को कैसे आवंटित किया गया ?
दिनेश द्विवेदी की स्पेशल रिपोर्ट