नशे की जंजीरों से मुक्त होने के लिए एक और कदम

रीवा, मप्र। विन्ध्य क्षेत्र की परंपरा और पृष्ठभूमि को ध्यान में रखना आवश्यक

कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में नशामुक्ति अभियान के तहत तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन प्रतिषेध एवं नियंत्रण अधिनियम के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला में तम्बाकू उत्पादों का उपयोग सीमित करने तथा नशे की राह में भटके लोगों को सही राह पर लाने के लिए विचार मंथन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि नशामुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए हमें विन्ध्य क्षेत्र की परंपरा और पृष्ठभूमि को ध्यान रखना आवश्यक है।

  • तम्बाकू की सामाजिक स्वीकार्यता को तोड़ने के लिए मानस पटल पर प्रहार आवश्यक है – कलेक्टर
  • नशामुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए हर व्यक्ति का सहयोग आवश्यक है – कलेक्टर
  • कोरेक्स का शिकार बनकर युवा अपराध की दुनिया में कदम बढ़ा रहे हैं – पुलिस अधीक्षक

विन्ध्य क्षेत्र में तम्बाकू तथा सुपाड़ी का उपयोग सामाजिक स्वीकार्यता है। एक पीढ़ी से यह दूसरी पीढ़ी को परंपरा के रूप में स्थानांतरित हो जाता है। तम्बाकू की सामाजिक स्वीकार्यता को तोड़ने के लिए मानस पटल पर प्रहार करना आवश्यक है। जब समाज के सभी लोग यह मान लेंगे की तम्बाकू का उपयोग बहुत ही घातक है तभी अभियान सफल होगा। इस लिए रीवा जिले में नशामुक्ति अभियान को व्यापक जन अभियान बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

कलेक्टर ने कहा कि तम्बाकू का उपयोग हमें कैंसर तथा अन्य भयानक रोगों की चपेट में ले जाता है। इससे आर्थिक, शारीरिक तथा सामाजिक हानि होती है। तम्बाकू, गुटका, सिगरेट तथा अन्य इसी तरह के नशीले पदार्थों का उपयोग सामाजिक समस्याओं और परिवारिक समस्याओं को जन्म देता है। केवल प्रशासन के प्रयासों से इसमें सफलता नहीं मिलेगी। नशामुक्ति अभियान को सफल बनाने में हर व्यक्ति अपनी भूमिका निभाये। सामाजिक चेतना आने पर ही हम नशे की जंजीरों से मुक्त हो पायेंगे। तम्बाकू और कोरेक्स का उपयोग युवाओं के भविष्य को बरवाद कर रहा है। कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने कहा कि नशे का सीधा संबंध अपराध से है। कोरेक्स तथा अन्य नशीले पदार्थों का शिकार होकर युवा पीढ़ी अपराध की दुनिया में कदम बढ़ा रही है। यह रीवा जिला ही नहीं पूरे विन्ध्य के लिए चिंता का विषय है। कोरेक्स का आदी होकर 15 से 23 साल के कई युवा अपराधी बन गये हैं। रीवा जिले में पुलिस विभाग नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है। हर वर्ष लगभग 55 से 60 हजार शीशी कोरेक्स एवं अन्य नशीली दवाएं जप्त की जा रही हैं। इसके बावजूद कोरेक्स और गांजे का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। रीवा जिले में प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा आमजनता ने नशामुक्ति अभियान में बहुत अच्छा कार्य किया है।

कार्यशाला में राज्य तम्बाकू नियंत्रण समिति के सदस्य तथा समाजसेवी मुकेश सिन्हा ने कहा कि नशे का कारोबार कानून व्यवस्था के साथ सामाजिक सरोंकारों से जुड़ा है। तम्बाकू का उपयोग बहुत घातक है। यह कैंसर का मुख्य कारण है। इसके साथ-साथ तम्बाकू का उपयोग करने से सांस संबंधी बीमारियां तथा अन्य कई रोगों का प्रकोप होता है। भारत दुनिया दूसरा सबसे बड़ा तम्बाकू उत्पादक देश है। दुनिया में उत्पादित 58 लाख टन तम्बाकू में से 30 प्रतिशत भाग भारत का है। भारत में 27 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं। इतने बड़े जन सामुदाय को नशे की राह से दूर करना बहुत बड़ी चुनौती है। तम्बाकू खाने वाला नशामुक्ति की दवा खाने के साथ तम्बाकू भी खा लेता है जिसके कारण उसे तम्बाकू से दूर करना बहुत कठिन हो जाता है। श्री सिन्हा ने विभिन्न फोटोग्राफो, आकड़ों तथा तुलनात्मक रिपोर्टो के माध्यम से तम्बाकू उत्पादों के दुष्प्रभावों एवं इनसे बचने के उपायों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में आयुक्त नगर निगम मृणाल मीणा, प्रभारी संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय अनिल दुबे, जनअभियान परिसर के संभागीय समन्वयक प्रवीण पाठक, समाजसेवी डॉ. मुकेश येंगल एवं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला में डिप्टी कलेक्टर संजीव पाण्डेय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनएन मिश्रा अन्य संबंधित अधिकारी सभी एसडीएम तथा सामाजिक संस्थाओ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

 

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