रीवा और मऊगंज जिले में एक जून से स्वस्थ लीवर अभियान चलाया जा रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तथा लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल की विशेष पहल से फैटी लीवर के बारे में जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। अभियान के तहत 12 जून को फैटी लीवर दिवस मनाया जाएगा। इस दिन जिले भर में स्वास्थ्य संस्थाओं में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके लोगों को नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज से बचाव के संबंध में जागरूक किया जाएगा। इसके साथ-साथ फैटी लीवर के संभावित रोगियों की जाँच के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और जिला चिकित्सालय में नि:शुल्क जाँच शिविर लगाए जाएंगे। गांव में प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता और एएनएम फैटी लीवर रोगियों की पहचान कर उनकी जाँच कराएंगे।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजीव शुक्ला ने बताया कि नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिसीज एक ऐसा विकार है जिसमें लीवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाता है। आमतौर पर शुरूआत में इससे किसी तरह की तकलीफ नहीं होती है तथा शरीर पर किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन बाद में पीड़ित को थकान, ऊपरी दाहिने पेट में दर्द और कभी-कभी पीलिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। फैटी लीवर आमतौर पर मोटापे, डायबिटीज और बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल जैसे कारणों से जुड़ा होता है। फैटी लीवर होने पर लीवर में सूजन, लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। लीवर सिरोसिस पर ध्यान न देने पर यह लीवर कैंसर में परिवर्तित होकर मृत्यु का कारण बन सकता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि फैटी लीवर से बचाव के लिए हर व्यक्ति अपने वजन पर नियंत्रण रखे। अधिक वजन वाले व्यक्तियों को इसका अधिक खतरा रहता है। ऐसे डाइट कार्यक्रम से दूर रहें जो लंबे समय तक भूखे रहने की सलाह देते हैं। फैटी लीवर से बचाव के लिए आहार में वसा की मात्रा कम करें। अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार जैसे चावल, आलू, सफेद ब्रेड का सेवन न करें। ये पदार्थ हमारी आंतों में जल्दी से अवशोषित हो जाते हैं और फैट के रूप में परिवर्तित होकर लीवर पर परत बना लेते हैं। इनके स्थान पर व्यक्ति को अनाज, दालें, नट्स, सेव, संतरा आदि का सेवन करना चाहिए। कार्बोनेटेड पेय पदार्थ और फ्रुक्टोज से भरपूर जूस का सेवन न करें। हर व्यक्ति हर साल लीवर एंजाइम, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जाँच अनिवार्य रूप से कराए। ब्लडप्रेशर अथवा डायबिटीज होने पर इसका समुचित उपचार करें।