रीवा जिले में एक साल में उद्यानिकी क्षेत्र में हुई 12583 हेक्टेयर वृद्धि

रीवा जिले में अनाज, दलहन और तिलहन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इनके साथ-साथ उद्यानिकी फसलों का भी बड़े क्षेत्र में विस्तार है। जिले में लगभग 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती की जा रही है। इनमें से एक लाख 53 हजार 303 हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलें ली जा रही है। इनमें मुख्य रूप से आम, नींबू, अमरूद, आंवला जैसे फलों का क्षेत्र शामिल है। इसके साथ-साथ आलू, टमाटर, प्याज, मिर्च, कद्दू वर्गीय सब्जियाँ भी बड़े क्षेत्र में ली जा रही हैं। औषधीय पौधों की खेती अैर फूलों की खेती की तरफ भी किसानों की रूचि तेजी से बढ़ी है। एक वर्ष में रीवा जिले में उद्यानिकी फसलों में 12583.75 हेक्टेयर क्षेत्र में वृद्धि हुई है। जिले के कई किसान ड्रैगन फ्रूट, गुलाब, स्ट्राबेरी और गेंदे के फूलों की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं।

उद्यानिकी फसलों के संबंध में सहायक संचालक योगेश पाठक ने बताय कि रीवा जिले में उद्यानिकी फसलों का तेजी से विस्तार हो रहा है। उद्यानिकी फसल अपनाने वाले अधिकतर किसान प्राकृतिक एवं जैविक विधि से उद्यानिकी फसले ले रहे हैं। प्राकृतिक खेती के लिए 830 किसानों ने पंजीयन कराया है। इनके द्वारा आलू, टमाटर, प्याज, लौकी, तोरई, बरबटी आदि की फसलें ली जा रही हैं। रीवा जिले में एक साल में फलों के क्षेत्र में 323 हेक्टेयर, सब्जी क्षेत्राच्छादन में 2838.5 हेक्टेयर में वृद्धि हुई है। इसी तरह मसाला फसलों के क्षेत्र में 4150 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इसमें सर्वाधिक वृद्धि हल्दी के क्षेत्रफल में हुई है। औषधीय पौधों की खेती के क्षेत्र में 211.75 हेक्टेयर तथा फूलो की खेती के क्षेत्र में 60.50 हेक्टेयर में वृद्धि हुई है। इस वर्ष औसत से लगभग 70 प्रतिशत वर्षा होने के कारण उद्यानिकी फसलों में अपेक्षा के अनुरूप वृद्धि नहीं हो पाई है। रीवा जिले के एक जिला एक उत्पाद में शामिल सुंदरजा आम के क्षेत्रफल में 1570 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष सुंदरजा आम को जियो टैगिंग भी प्राप्त हो चुकी है।

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