रीवा जिले की त्यौंथर तहसील अन्तर्गत ग्राम पंचायत चंदई से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 30 (NH30) के बगल में अधूरी और जर्जर नाली की वजह से लगभग 250 एकड़ में जल भराव होने से धान की फसल सड़ कर नष्ट हो गई है। किसानों द्वारा बताया गया कि जब से मुख्य सड़क चाकघाट से रीवा का निर्माण हुआ है तब से चंदई क्षेत्र में जलभराव कि समस्या बढ़ गई है, जिसके चलते बरसात के मौसम में सोहागी पहाड़ से बहने वाला पानी मझगवां से लेकर चंदई तक के बड़े कृषि योग्य भूमि में भर जाता है। इस समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन का दरवाजा खटखटाया गया और प्रशासन से गुहार भी लगाई गई लेकिन कोई खास फर्क नहीं पड़ा और किसानों कि फसल धीरे – धीरे सड़ने – गलने लगी।
जानकारी के मुताबिक इस मामले में जुलाई 31, 2024 को माननीय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व त्यौंथर के अगुआई में नाली खुदाई का काम शुरू करवाया गया जिसका कई लोगों द्वारा विरोध भी किया गया। कुछ लोगों द्वारा बताया गया कि बरसात के मौसम में अगर खुदाई हुई तो कई घरों का रास्ता बाधित हो जायेगा। उनके द्वारा बताया गया कि जलभराव इतने कम क्षेत्र में नहीं है कि कुछ दूर खुदाई से निजात मिल जाएगी बल्कि एक छोर से दूसरे छोर तक मुआना करके और राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर मोरी बनाकर पानी को सीधे टमस नदी से जुड़े नाले में बहाना होगा। तभी जाकर इतने बड़े क्षेत्र में हुए जलभराव से निजात मिल सकेगी।
कुछ लोगों द्वारा बताया गया कि चंदई ग्राम पंचायत द्वारा नाले में डैम बनाया गया है जो जलभराव वाले क्षेत्र से ऊँचा है। ऐसे में जलभराव के बढ़ते दायरे कि एक वजह यह डैम भी है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बिना पूर्वानुमान और भविष्य में घट सकने वाली घटनाओं को ध्यान में रखे बिना, ऐसे अमानक डैम का निर्माण क्यों किया गया !
ग्राम पंचायत चंदई, सोहागी पहाड़ से लगभग सटा हुआ क्षेत्र है, जहाँ मानसून में जलभराव एक बड़े नुकसान कि ओर इंगित कर रहा है। फ़िलहाल जलभराव का क्षेत्र व्यापक होने कि वजह से धान धीरे – धीरे सड़ने – गलने लगी है और किसान प्रशासन कि ओर टकटकी लगाए बैठा है कि कब उसे उचित मदद मिलेगी और वह अपनी फसल तैयार करने में जुट जायेगा। फ़िलहाल हाइवे के किनारे नाली निर्माण के लिए कुछ लोगों द्वारा कई महीनों से लगातार दफ्तरों के चक्कर काटे गए और पत्राचार भी किया गया। अगर समय रहते प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी शिकायतकर्ताओं कि मांगों पर अमल कर लेते तो आज सैकडों एकड़ भूमि में धान कि फसल लहलहा रही होती।