मामला है रीवा जिले की जनपद पंचायत त्योंथर अंतर्गत आने वाली सबसे बड़ी पंचायत सोनौरी का, जहां कागज पर तो धड़ल्ले से विकास कार्य किए गये और स्वीकृत राशि भी निकल ली गई लेकिन जमीनी हकीकत कागजी लीपा पोती से अलग नज़र आई। बंदरबांट और भ्र्ष्टाचार का यह संदेह काफी हद तक तब यकीन में बदलने लगा जब सूचना के अधिकार के तहत सोनौरी पंचायत के ही सामाजिक कार्यकर्ता ने आवेदन किया और उन पर चौतरफा दबाव शुरू हो गया। हालाँकि सारे दबाव को नज़रअंदाज करते हुए सरपंच और सचिव द्वारा की जा रही धांधली को सामाजिक कार्यकर्त्ता मोतीलाल तिवारी और सामाजिक कार्यकर्त्ता उमेश पुरी द्वारा उजागर करते हुए अप्रैल 2024 में कार्यालय जनपद पंचायत त्योंथर, जिला रीवा को शिकायत पत्र सौंपा गया। जिसके बाद मई 2024 को कार्यालय जनपद पंचायत त्योंथर, जिला रीवा द्वारा चार लोगों की एक टीम गठित कर ग्राम पंचायत सोनौरी की जाँच के लिए पत्र जारी किया गया। हालाँकि इस मामले में अभी तक गठित जाँच दल द्वारा कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। जिसके बाद शिकायतकर्ताओं द्वारा जिला स्तर पर शिकायत पत्र दिया गया है।
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क्या है आरोप
सोनौरी पंचायत में हुए विकास कार्यों की सूची जब सामाजिक कार्यकर्ताओं को मिली तो उसमें दर्शाये गए कार्यों की सूची बनाई गई और उनका आंकलन किया गया। जिसमें भारी संख्या में अनियमितताएँ नज़र आने लगीं। सूचना के अधिकार के तहत मिली तक़रीबन साढ़े 300 पेज की जानकारी तो यहाँ पर दर्शाना काफी मुश्किल होगा लेकिन कुछ ऐसे खर्चे जो आपको भी सोचने में मजबूर कर देंगे, नीचे दर्शाये गए हैं।
पंचायत कार्यालयीन व्यवस्था – रूपए 140350
सोनौरी पंचायत में खुद का पंचायत भवन नहीं है बावजूद पंचायत कार्यालयीन व्यवस्था के नाम पर रूपए 140350 का अहरण किया गया है। मामले में जब वर्षों पुराने जर्जर पड़े सीएफटी भवन को बारीकी से खंगाला गया तो वो भी कई वर्षों से वीरान पड़ा दिखा, जिसके आसपास खुले में शौंच किया गया था।
मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान शिविर – रूपए 24900
सोनौरी पंचायत ने मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान शिविर के नाम पर रूपए 24900 आहरित किये हैं लेकिन यह शिविर स्वपोषित बताया गया है तो फिर यह राशि किसके खाते में गई। यहाँ तक कि इस दौरान कौन से कार्य किये गए और कितने हितग्राही बने यह जानकारी भी संदेह में है।
ईजीएस शाला कि बॉउंड्री वॉल – रूपए 165000
सोनौरी पंचायत के सरपंच सचिव ने यह तक ख्याल नहीं किया कि जिस ईजीएस शाला कि बॉउंड्री वॉल निर्माण के लिए रूपए 165000 निकाला है वहां उनके ही पंचायत के बच्चे पढ़ने लिखने जाते हैं फिर भी कोई बॉउंड्री वॉल नहीं बनाया। यहाँ तक कि पहले से लगाई गई उत्तम गुणवत्ता कि जाली को भी जर्जर और चोरी होने के लिए जमीन में पड़ी छोड़ दिया। इस स्कूल में पहले से एक शौचालय मौजूद था बावजूद दो और शौचालय बनबाया गया है। इतना ही नहीं पानी के लिए लगाए गए समर्सिबल और टंकी कि हालत भी खस्ता है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जाँच में बड़ी राशि कि रिकवरी हो सकती है।
सोकपिट निर्माण – रूपए 189500
शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया की जो जानकारी आरटीआई के तहत दी गई उसमें 19 सोकपिट का निर्माण दिखाया गया है जबकि बने सिर्फ 9 हैं। इतना ही नहीं एक सोकपिट का विज़ुअल भी न्यूज़ में चला जिसमें सोकपिट निर्माण में भी भी भ्र्ष्टाचार की आशंका जताई गई है।
शकायतकर्ताओं द्वारा जानकारी दी गई की इसी तरह साफ सफाई एवं नाली के लिए 195750 रूपए, अधूरे सामुदायिक स्वछता परिसर के लिए 300000 रूपए, आनंद उत्सव कार्य के नाम पर 35000 रूपए, निजी मंदिर की सफाई पोताई के नाम पर 25000 रूपए निकाले गए। ऐसे ही अमानक सड़क निर्माण व मरम्त, रपटा निर्माण, शासकीय हैंड पंप सुधार, आदि के नाम पर फर्जी खर्च दिखा लाखों डकार लिए गए हैं। जमीनी निरीक्षण के दौरान जब पत्रकारों द्वारा सचिव अमर सिंह व सरपंच श्याम बाबू साहू को फ़ोन किया गया तो पहले तो उन्होंने फ़ोन उठाया और बिना कुछ बोले ही फ़ोन काट दिया और फिर दुबारा फ़ोन नहीं उठाया गया। जिसकी वजह से उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
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सबसे संवेदनशील जानकारी हरिजन बस्ती, कोठरी टोला, ग्राम पंचायत सोनौरी के लोगों ने दी। उनके द्वारा लाइव सेशन में बताया गया कि उनके घर के सामने तक़रीबन दस महीने से निर्माणाधीन नाली खुली पड़ी है जिसे अभी तक कोई देखने तक नहीं आया। एक दिन रास्ते से गुजर रहे दो पहिया चालक इसी घटिया नाली में जा गिरे जिसकी वजह से खुली पड़ी नाली कि सलिया घुस गई और उनकी मृत्यु हो गई। जब उनसे पूंछा गया कि कोई पुलिस थाना – कोट कचेहरी का मामला दर्ज है तो बताया कि पीड़ित बाहरी थे और उनके परिजन उन्हें ले गए।
आगे उन्होंने ने बताया कि इस नाली कि वजह से आये दिन दुर्घटना होती रहती है। कभी कोई पशु फंस जाता है तो कभी कोई बुजुर्ग आदमी फिसल कर गिर जाता है। नाली को पार कर जाने वाले लोगों के लिए हमेशा खतरा बना रहता है लेकिन सरपंच – सचिव कभी ध्यान ही नहीं देते। ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि इतनी सारी योजनाओं के नाम पर राशि का अहरण होता रहा लेकिन किसी भी अधिकारी ने कभी कोई जाँच नहीं की, क्यों ?




