जिले में कुम्भकर्णीय नींद में है पीएचई विभाग, मनमानी के चलते तराई अंचल में पानी का संकट

रीवा। मध्यप्रदेश शासन की बहुआयामी हैंडपंप योजना, नलनल योजना जैसी अनेकों व्यवस्थाओं के कागजी सञ्चालन के बावजूद त्योंथर, जवा, सिरमौर के कई गांव पानी के लिए दर – दर भटक रहे हैं। कहीं हैंडपंप महीनों से सूखे पेड़ बने खड़े हैं तो कहीं खाली टंकी योजनाओं के जर्जर होने की दुःख भरी कहानी बयान कर रही है। तराई में व्याप्त समस्यों को लेकर कई अधिकारीयों से मिन्नतें भी की गई लेकिन महज आश्वाशन देकर वो भी दरकिनार कर गए।

जवा एवं सिरमौर क्षेत्र
पानी की टंकी रीवा जिले के जवा क्षेत्र एवं सिरमौर क्षेत्र में सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गयी है। जहाँ पर देखा जा सकता है कि पानी की टंकी तो बनी है लेकिन टंकी से पानी की सप्लाई कभी नहीं होती है और बैठे – बैठे कर्मचारी मुफ्त की वेतन पा रहे हैं। इसी तरह से शासन की बहुआयामी नलजल योजना भी विभाग के मिलीभगत से ठेकेदारों के हाथों भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गई है, जिस वजह से आम जनता को इस भीषण गर्मी में पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहाँ पर देखा गया है कि कई ऐसे गांव है जहाँ पर नलजल योजना की पाइप भी नही बिछाई गई है, वहां के लोग हैंडपम्प के सहारे रहते है। जो हैंडपम्प कई महीनों से खराब पड़े हैं। कई बार पीएचई विभाग के एसडीओ आर के सिंह एवं टाइम कीपर देवेंद्र पांडेय को सूचना भी दी गयी थी बावजूद कोई कार्य सम्पादित नहीं हुआ। जब कभी उन्हें फोन लगाया जाता है तो उनके द्वारा फोन तक नहीं उठाया जाता है। जिस वजह से क्षेत्र के लोग पानी के लिए तरसते रहते है परंतु विभाग के द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है। ज्यादातर नलजल योजना एक बार कुछ जगहों में चलाया गया इसके बाद अब कागजो में संचालित है जिसका सारा पैसा ठेकेदार के द्वारा निकाल लिया गया है। सूत्रों की माने तो बताया जाता है कि उक्त सारे कार्य की जिम्मेदारी देवेंद्र पांडेय को एसडीओ आरके सिंह के द्वारा दी गयी है लेकिन देवेंद्र पांडेय अपने आप को जिला कलेक्टर से कम नहीं समझते हैं। दोनो लोग रीवा में बैठकर दो-दो मुख्यालय फोन से चला रहे हैं तथा एसडीओ के द्वारा सभी ठेकेदारों को खुली छूट दे रखी है कि जितना लूट सकते हो लूट लो, मेरा हिस्सा रीवा तक पहुँच जाना चाहिए। इसी वजह से ठेकेदार मनमानी पर उतारू हैं। कई लोगों ने तो अपने पैसे खर्च कर खुद ही हैंडपम्प बनवाने के लिए निजी मिस्त्री – मजदूर ढूंढ लिया।

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त्योंथर क्षेत्र
कांग्रेस के ज़माने में पानी के लिए गांव – गांव लगाए गए हैंडपंप आज शुशासन में खाली हवा धौंक रहे हैं। कहीं कुछ नेताओं के संरक्षण वाले लोगों ने हैंडपंप अपनी बॉउंड्री के अंदर कर लिया तो कहीं उन्हें उखाड़ कर अपना समर्सिबल डाल लिया। अब जो हैंडपंप बचे हैं वो विभाग की लापरवाही का भेंट चढ़े जा रहे। त्योंथर से सोनौरी तक के मार्ग में कई जगह आपको ऐसे जर्जर हैंडपंप देखने को मिल जायेंगे। हाल ही में ख़राब हैंडपंप की वजह से पानी के लिए परेशान बुजुर्ग व्यक्ति आनंद मिश्रा ग्राम टोंकी, ग्राम पंचायत अमाव ने बताया कि महीने भर से उनके सामने का नल ख़राब है, जिसकी वजह से उन्हें नदी का पानी पीना पड़ रहा या फिर दूर कहीं से लाना पड़ता है। इस सम्बन्ध में तहसीलदार त्योंथर को भी जानकारी दी जा चुकी है क्यूंकि एसडीओ निलंबित हैं। फ़िलहाल अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसी तरह रायपुर मोड़ में हैंडपंप उखाड़ निजी समर्सिबल डालने कि शिकायत मिली है।

ऐसे में भू जल विभाग के साथ – साथ, मीठे पानी के लिए चलाई जा रहीं सभी योजनाओं कि जमीनी हकीकत कितनी सही सटीक होगी इसका अंदाजा जमीन पर उतर कर ही जिला कलेक्टर और कमिश्नर को पता चल पायेगा। हालाँकि पीएचई विभाग कि लापरवाही किस हद तक है इसका अंदाजा हवा धौंक रहे हैंडपंप ही बयान कर सकते हैं। (चन्दन भइया, सामाजिक कार्यकर्त्ता) 

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