भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे पीजीबीटी के प्राध्यापक डॉ पी एन मिश्रा की विभागीय जांच में लीपापोती करने के आरोप लगे हैं।गौरतलब है कि लंबे समय से शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रीवा में पदस्थ डॉक्टर पी एन मिश्रा के खिलाफ लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल में भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता मनमानी एवं स्वेक्षाचारिता की शिकायतें हुई थी। इसके बाद लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल ने त्रिस्तरीय जांच कराई थी। आगे की कार्रवाई लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल में लंबित है ,जिसमे 2 अप्रैल को प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा,आयुक्त लोक शिक्षण, जेडी रीवा एवम डीईओ को लोकायुक्त मुख्यालय में हाजिर होना है।
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इधर लोकायुक्त के निर्देश पर लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश भोपाल द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी प्राध्यापक डॉ पी एन मिश्रा की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है । जांच अधिकारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण कार्यालय में पदस्थ उपसंचालक टीपी सिंह को बनाया गया है। जबकि प्रस्तुतकर्ता अधिकारी शिक्षा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर एन पटेल को बनाया गया है।इसी कड़ी में सहायक संचालक जगदीश सिंह, कन्या पांडेन टोला के प्राचार्य जे पी जायसवाल, मार्तंड 2 के प्राचार्य प्रदीप सिंह एवम तिघरा प्राचार्य रामसुशील को अभियोजन साक्ष्य के लिए बुलाया गया था। उधर जिम्मेदारों पर आरोपी प्राध्यापक को संरक्षण देने,जांच के मूल बिन्दु से हटकर जांच की दिशा बदलने एवम जांच में लीपापोती करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। बताया गया है की फर्जी हस्ताक्षर एवम धोखाधड़ी के मूल आरोपों को दर किनार कर जांच के नाम पर आडिट कराई जा रही है जिससे जांच पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। जिम्मेदार अपने पद की गरिमा और नैतिकता को दरकिनार कर आरोपी प्राध्यापक को बचाने में एड़ी चोंटी का जोर लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि डॉ पंकज नाथ मिश्रा सहायक प्राध्यापक शिक्षा महाविद्यालय रीवा मूल पद हाई स्कूल प्रचार के विरुद्ध प्रोफेसर तरुणेंद्र शेखर पांडे, प्रोफेसर के.के. पांडे, प्रोफेसर एम.एल.तिवारी, प्रोफेसर भागवत प्रसाद मिश्रा सहित भृत्य श्यामलाल वर्मा एवं रामलाल वर्मा के फर्जी हस्ताक्षर कर भोज परीक्षा के मानदेय की राशि हड़पने सहित मॉनिटरिंग ,शोध ,प्रायोगिक परीक्षा , सेवा पुस्तिका में काट छांट करने के आरोप प्रमाणित पाए गए थे।साथ ही प्रोफेसर उमेश तिवारी एवम लिपिक अशोक तिवारी के बिना हस्ताक्षर कराए ही उनके नाम से राशि आहरित कर ली गई थी।इसके अलावा एम एड प्रशिक्षणार्थियों धर्मराज गड़रिया एवम आशुतोष श्रीवास्तव को व्याख्याता सी टी ई रीवा बताकर उनके नाम से भी राशि आहरित की गई थी। इसके बाद लोकायुक्त के साथ-साथ आयुक्त लोक शिक्षण ने विभागीय जांच प्रारंभ करने के निर्दश दिये है।
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लोक शिक्षण के पत्र क्रमांक स्थापना /एक /सतर्कता /डी / 210 /लोका /रीवा,/2023/184-185 भोपाल दिनांक 01-02-2024 के तहत जारी आदेश में उपसंचालक टी पी सिंह को विभागीय जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है । जबकि जगदीश सिंह सहायक संचालक, जे पी जायसवाल , प्रदीप सिंह आदि को अभियोजन साक्षी नामित किया गया है।
किन्तु जिम्मेदारों द्वारा धोखाधड़ी, गबन एवम फर्जी हस्ताक्षर कर 420 सी करने के मूल आरोपों को दरकिनार कर जांच को आडिट का रूप देकर मामले को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है।यह भी आरोप लगाए गए हैं की कार्यालय के एक सेवानिवृत्त लिपिक को भी जांच में अनाधिकृत रूप से शामिल किया जा रहा है।साथ ही आरोपी प्राध्यापक के पक्ष में कमिश्नरी का एक सेवानिवृत्त लिपिक जांच के दौरान पूरे समय उपस्थित रहता है ,जो उल्टे अभियोजन साक्ष्य के सदस्यों से पूंछतांछ करता है।ऐसा प्रतीत होता है की वही जांच अधिकारी है और अभियोजन साक्ष्य के सदस्य ही आरोपी हैं। जॉच अधिकारियों के संरक्षण के बिना ऐसा संभव प्रतीत नही होता।
इतना ही नहीं भ्रष्टाचार का आरोपी उक्त प्राध्यापक पूरे समय विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के बंगले एवम कार्यालय में साथ रहता है। जिससे जिम्मेदार अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं और विभाग के जिम्मेदार, भ्रष्टाचार के आरोपी प्राध्यापक को बचाने अपने पद की गरिमा और नैतिकता को त्याग कर बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।हालाकि शिकायतकर्ता ने पूरे मामले की जानकारी लोकायुक्त एवम विभाग के आला अधिकारियों को भेज दी है।साथ ही यदि जांच में लीपापोती की गई तो मामले को न्यायालय ले जाने की बात भी शिकायतकर्ता ने कही है।देखना है भ्रष्टाचार के इस खेल का पर्दाफाश विभाग कर पाता है या लोकायुक्त और न्यायालय से ही दूध का दूध और पानी का पानी हो पायेगा।
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