मरीजों के शोषण का केंद्र बनता जा रहा चाकघाट का सरकारी अस्पताल?

मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश के सीमा क्षेत्र में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चाकघाट में अव्यवस्थाओं और मरीजों के शोषण को लेकर गंभीर शिकायतें सामने आ रही हैं। मिली जानकारी के मुताबिक 30 बेड वाले इस सरकारी अस्पताल में पहले जहाँ मरीजों को पर्याप्त मात्रा में दवाइयाँ मिलती थीं, वहीं अब दवाइयों की लगातार कमी की बातें कही जा रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रभारी चिकित्सक डॉ. नीरज चतुर्वेदी दवाइयों की कमी का हवाला देकर गरीब मरीजों को महंगी दवाइयाँ लिख देते हैं, जिन्हें विशेष मेडिकल स्टोर से ही लेने के लिए बाध्य किया जाता है। इससे गरीब मजदूरों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।

इसके साथ ही अस्पताल में उपलब्ध एक्सरे मशीन और अन्य जांच उपकरणों को भी जानबूझकर संचालित न किए जाने की शिकायतें हैं। आरोप है कि उपकरण बंद रहने से मरीजों को प्रदेश सीमा पार निजी नर्सिंग होम में भेजा जाता है, जहाँ महंगे शुल्क लेकर जांच की जाती है। चाकघाट बॉर्डर से नारीबारी के बीच कई निजी नर्सिंग होम संचालित हैं, जिनसे कमीशन लिए जाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। बताया जाता है कि पहले इस अस्पताल में अधिकांश दवाएँ सुचारू रूप से मिलती थीं, लेकिन वर्तमान प्रभारी के पद भार संभालने के बाद दवा संकट बढ़ता गया है। इस संबंध में डॉ. चतुर्वेदी का कहना है कि स्टोर प्रभारी समय पर दवा लेने नहीं जाता, जबकि यह सवाल भी उठ रहा है कि प्रभारी अधिकारी के अधीन कर्मचारी ऐसा कैसे कर सकता है।

इसके अलावा अस्पताल के कई कर्मचारी समय पर ड्यूटी पर उपस्थित नहीं होते—ऐसी शिकायतें भी लगातार मिल रही हैं। वहीं मरीजों से लिए जाने वाले पंजीयन शुल्क और रोगी कल्याण समिति की आय-व्यय संबंधी जानकारी भी कभी सार्वजनिक नहीं की जाती, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोग जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग से आग्रह कर रहे हैं कि चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की गोपनीय जांच कराई जाए तथा दोषी कर्मचारियों और मरीजों को निजी अस्पताल भेजने की कथित व्यवस्था पर रोक लगाई जाए, जिससे गरीब और कमजोर वर्ग महंगे निजी उपचार का शिकार न बनें।

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