गोवंशों को चरने के लिए धूल और पत्थर, जंगली भाग में कहीं नहीं घास का नामोनिशान

2100 गौवंश रखने का दावा, अभी 21 को भी खाने के लिए कुछ नहीं

रीवा मप्र में गंगेव जनपद में बनाए जाने वाले कथित विश्व के सबसे बड़े गो अभ्यारण्य की जमीन जंगल विभाग को बेंच दिए जाने का मामला तो चल ही रहा है। एक और गंभीर मामला सामने आ गया है। बताया जा रहा है हिनौती ग्राम पंचायत के गदही ग्राम में बनाए जा रहे गो अभ्यारण्य में अभी नए पशु शेड बनाए जाने के कार्य प्रगति पर है उधर जबरन गौशालाओं में पशुओं को ठूसने का कार्य भी प्रगति पर है। कुछ दलाल किस्म के लोगों का डेरा गदही में चढ़ चुका है। अब गदही को भगवान ही बचाए। गदही अब त्राहि त्राहि करने लगी है। पर आप गदही को गधे वाली गधी मत समझ लीजिएगा। हम तो यहां पर मात्र गदही राजस्व ग्राम की बात कर रहे हैं। हालांकि गदही को एक कथित मंत्री द्वारा थोड़ा हटकर फैंसी नाम गोधाम भी दे दिया गया है लेकिन राजस्व के खसरे में तो अभी भी गदही ही दर्ज है।

गोवंशों को चरने के लिए धूल और पत्थर, जंगली भाग में कहीं नहीं घास का नामोनिशान
बताते चलें कि गदही गो अभ्यारण्य के नजदीक अब चरने लायक कुछ बचा नही है। रोज सुबह लगभग 11 बजे गोवंशो को ढीला जाता है और शाम 4 बजे गौशालाओं में ठूंस दिया जाता है। समिति द्वारा लगाए गए चरवाहों ने दास्तान बयान की और बताया कि इस समय जंगल में न तो चरने के लिए कुछ है न पीने के लिए पानी हैं। गोशाला में किए गए बोरवेल से पानी तो मिल रहा है लेकिन चरने के लिए जंगली धूल, पत्थर ही बचा है। ऐसे में इस भीषण ठंड में पशु कमजोर होकर मर रहे हैं।

जनपद अध्यक्ष गंगेव का कृत्रिम बांस बल्ली वाला पशु शेड क्या सरकार के पैसे खाने का नया तरीका?
अभी पिछले कुछ दिनों से चर्चा ए ख़ास थी की गदही की पीठ पर डेरा डाले दलाल लोग गोवंशो के उद्धार के लिए प्रयासरत हैं जहां उनके लिए नए बांस बल्ली के पशु शेड बनाए जा रहे हैं। बताया गया को दो निर्मित गौशालाओं की क्षमता मात्र 200 गोवंशो की है इसलिए सीमा बढ़ाने के लिए नए शेड चाहिए होंगे तभी सरकार से प्रति गोवंश अलग से 40 रुपए मिल पाएंगे। अब जहां 100 गोवंशो का सरकार ने प्रतिमाह 1 लाख 20 हजार रुपए कर दिया है ऐसे में गोवंशों की चिंता तो दलालों को होना स्वाभाविक है। जाहिर है सोचिए 2100 गोवंशों का कितना माल होगा? अब शायद समझ में आ गया होगा की गोवंशों की चिंता कम और माल खजाने में निगाह ज्यादा है।

क्या यह टाइम पासपशु शेड दिखाकर शासन की राशि हड़पना उचित?
गदही में सवार गोवंशों के ठेकेदारों ने जो नया करिश्मा कर दिखाया हैं उससे आसपास के ग्रामीणों में यह भी चर्चा खूब हो रही है की गायों के यह शुभचिंतक अब तक कहां थे? लोगों में यह भी चिंता है की जब पर्याप्त शेड और खाने पीने की व्यवस्था नहीं है तो यह 2100 गोवंश फिलहाल कहां कैसे रखे जायेंगे ? जानकारों की मानें तो यह सब प्रोपोगंडा सिर्फ इसलिए रचा जा रहा है ताकि शासन से पैसे हासिल कर लिए जाएं। इस बाबत पशु पालन विभाग को गोवंश के दलालों द्वारा 200 से अधिक अतिरिक्त गोवंशों के लिए पैसे जारी करने के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया गया है। अब देखना यह है की गोवंशों के निवालों पर गिद्ध दृष्टि बैठाए हुए यह गोभक्त कितना कितना कमिशन फिक्स करते हैं?

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
Email

Leave a Comment

ट्रेंडिंग खबर

ट्रेंडिंग खबर

today rashifal

हमसे जुड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है... पोर्टल पर आपके द्वारा डाली गयी खबर/वीडियो की सभी जानकारी घटनास्थल और घटना का समय सही और तथ्यपूर्ण है तथा घटना की खबर आपके क्षेत्र की है।अगर खबर में कोई जानकारी/बात झूठी या प्रोपेगेंडा के तहत पाई जाती है तो इसके लिए आप ही ज़िम्मेदार रहेंगे।