ग्रामीण यांत्रिकी सेवा और अन्य द्वारा ग्राम पंचायत की निर्माण सीमा पर किया जा रहा हस्तक्षेप गलत

सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने 25 लाख रुपए तक की प्रशासकीय स्वीकृत जारी किए जाने की पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों को दी गई शक्ति पर अनाधिकृत तौर पर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एवं अन्य संबंधित विभागों के द्वारा अनाधिकृत हस्तक्षेप को लेकर बड़े सवाल खड़े किए हैं।

अभी हाल ही में रीवा और मऊगंज में डीएमएफ और मनरेगा के कन्वर्जेंस से कई निर्माण कार्यों की डीपीआर और तकनीकी स्वीकृत आदेश जारी किए गए हैं जिनमें कई कार्य तो 25 लाख रुपए की सीमा के नीचे और कई 25 लाख रुपए से ऊपर स्वीकृत किए गए हैं। जो कार्य 25 लाख रुपए की सीमा के नीचे हैं उनमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश के अनुसार निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायतों को ही रखा जाना है जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी करने की शक्तियां ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई हैं।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 20 जनवरी 2023 को जारी आदेश क्रमांक 485 एवं 1 अक्टूबर 2024 को जारी एक अन्य आदेश 6579 में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया है की पूर्व की 15 लाख रुपए तक के निर्माण कार्यों की सीमा को बढ़ाकर अब 25 लाख रुपए किया जाता है एवं ऐसे समस्त निर्माण कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी करने की शक्तियां अब ग्राम पंचायतों के पास होंगी। तात्पर्य हुआ की जिन ग्राम पंचायतों के सरपंच सचिव 15 लाख तक के निर्माण कार्य करा सकते थे और उपयंत्री सहायक की निगरानी में कार्य करते थे अब उसे वह बढ़ाकर 25 लाख रुपए तक का कार्य करा सकते हैं। लेकिन यहां भी पंचायत के अधिकार क्षेत्र में अनाधिकृत तौर पर हस्तक्षेप कर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में बैठे हुए कई दलाल ठेकेदार नेताओं से जुगाढ़ लगाकर कमजोर किस्म के सरपंच सचिवों वाली ग्राम पंचायतों के अधिकार क्षेत्र का हनन कर रहे हैं और इसमें कार्यपालन यंत्री ऐसे दलालों का भरपूर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। जाहिर है कोई अनाधिकृत काम में सहयोग क्यों प्रदान करेगा वह इसलिए क्योंकि इसमें अच्छा खासा कमीशन का खेल चल रहा है। बिना निविदा कोटेशन जारी किए और बिना पेपर में इश्तहार दिए ज्यादातर ऐसे कार्य टेबल के नीचे अपने मनचाहे ठेकेदारों को सौंप दिए जाते हैं और इसमें विभागीय उच्च अधिकारियों सहित कार्यपालन यंत्री अधीक्षण यंत्री एवं अन्य अधिकारियों तक अच्छी खासी कमिशन पहुंच रही होती है। ऐसे में जो जनप्रतिनिधि जनता द्वारा चुनकर आए हैं वह 5 साल बाद जनता को मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचते हैं क्योंकि उनके पास कोई भी ऐसा कार्य नहीं होता है जिसे उनके द्वारा स्वयं कराया गया हो और वह जनता को जवाब दे सकें। इस बात को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने ग्राम पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में दलाली करने वाले ठेकेदारों और कमीशनखोर ऐसे अधिकारियों पर प्रश्न खड़ा किया है।

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
Email

Leave a Comment

ट्रेंडिंग खबर

ट्रेंडिंग खबर

today rashifal

हमसे जुड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है... पोर्टल पर आपके द्वारा डाली गयी खबर/वीडियो की सभी जानकारी घटनास्थल और घटना का समय सही और तथ्यपूर्ण है तथा घटना की खबर आपके क्षेत्र की है।अगर खबर में कोई जानकारी/बात झूठी या प्रोपेगेंडा के तहत पाई जाती है तो इसके लिए आप ही ज़िम्मेदार रहेंगे।