मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था के नाम पर पात्र हितग्राहियों के साथ सरासर अन्याय का सिलसिला बदस्तूर जारी है। राज्य और केंद्र सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं की आड़ लेकर सतना जिले में अधिकारियों के बीच मजबूत सांठगांठ पंचायतों में नित नये नये घोटाले की वजह बन रहा है। मध्य प्रदेश शासन ने सभी ग्राम पंचायतों के लिए पानी के संकट से निवारण के लिए बोर में मोटर पंप डालने का जिम्मा पीएचई विभाग के जिम्मेदारों को सौंपी है।लेकिन पीएचई विभाग के कर्मचारी बालेंद्र तिवारी मोटर पंप लगाने के नाम पर 3 हजार से 5 हजार तक वसूल कर रहे है।अगर हितग्राही पैसा नही देता तो उसके दस्तावेज रिजेक्ट कर अपात्र घोषित कर देते है। इस संदर्भ में जब मझगवा ब्लॉक अंतर्गत हलावन पंचायत के सरपंच से फोन पर बात की गई, तो उन्होंने पीएचई विभाग के कर्मचारी का पूरा कारनामा बताया।जरुरतमंद लोगों को लाभ दिलाने का टारगेट जरुर शासन ने तय किया है,पर कलाबाजी में माहिर पीएचई विभाग द्वारा सुनियोजित सांठगांठ के कारण अधिकांश पंचायतों में पैसा लेकर मोटर पंप लगाने का काम किया जा रहा है।फर्जी तरीके से जेब भरने का अभियान तेज कर दिया गया है। पहले भी अधिकांश ग्राम पंचायतों में इस पैटर्न पर सरकार के बजट को ठिकाने लगाया जाता था। कुल मिलाकर मोटर पंप लगाने के नाम पर आने वाला बजट भी समाप्त हो जाएगा और मझगवा ग्राम पंचायतों में अधिकांश गरीबों और मजदूरों को लाभ नहीं मिल पाएगा।
मझगवां ब्लाक में जल संकट, बूंद बूंद पानी मुश्किल
गर्मी की दस्तक के साथ ही सतना नगर निगम क्षेत्र के तकरीबन कई वार्ड हैं, जहां पर रहने वाले लोगों को पीने के पानी तक के लिए संघर्ष करना पड़ जाता है। पिछले कुछ दिनों से सतना नगर निगम क्षेत्र के इन वार्डों में रहने वाली जनता के लिए बूंद बूंद पानी की व्यवस्था करना परेशानी का कारण बन चुका है। मजेदार बात यह है कि एक तरफ सुबह से इन वार्डों में रहने वाली जनता पानी की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष करने को मजबूर हो जाती है। इसके बावजूद नगर निगम प्रशासन ने इन इलाकों में टैंकर के माध्यम से पानी की नियमित सप्लाई व्यवस्था को सुनिश्चित नहीं किया है। इस वजह से लोगों के लिए भीषण गर्मी के मौसम में पीने के पानी के साथ ही घरेलू उपयोग के लिए पानी की व्यवस्था करना काफी चुनौतीपूर्ण हो चुका है।वही ग्रामीण क्षेत्रों में बंद पड़े बोर में मोटर पंप डालने का काम पीएचई विभाग द्वारा किया जा रहा है।उसमे भी पीएचई विभाग के जिम्मेदारों ने अवैध वसूली का जरिया बना लिया है, वही ग्रामीण सूत्रों की माने तो मोटर पंप लगाने के आड़ में 3 हजार से 5 हजार रूपए बशूल रहे है।इसी को कहते हैं कि आपदा में अवसर तलाशना। (चन्दन भइया)
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