एक तरफ सरकार घर – घर जल पहुँचाने के लिए नल जल, हर घर जल जैसी योजनाओं को लेकर नये – नये दाबे कर रही तो दूसरी तरफ तक़रीबन 10 – 15 साल पहले पीएचई विभाग द्वारा लगाए गए हैंडपम्प पानी की जगह हवा उगल रहे। इतना ही नहीं कई महीने से ख़राब हैंडपम्प को लेकर जब सीएम हेल्प लाइन में शिकायत की गई तो वो भी महज खानापूर्ति ही साबित हुई। अब सवाल है कि जब जनता कि शिकायतों का कोई सुनने – देखने वाला नहीं है तो फिर सीएम हेल्प लाइन में विभाग अव्वल कैसे हो जाता है ?
एक और हैंडपम्प कि शिकायत मिली रीवा जिले कि बहुचर्चित तहसील त्योंथर अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत अमाव के ग्राम टोंकी की, जहाँ कई महीनों से शासकीय हैंडपम्प ख़राब चल रहा है। पानी के लिए भटक रहे लोगों ने बताया की ख़राब हैंडपम्प की शिकायत पीएचई विभाग त्योंथर को की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद पेयजल के लिए जद्दोजहत कर रहे लोगों ने सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की लेकिन त्योंथर से लेकर रीवा तक किसी भी अधिकारी – कर्मचारी ने कार्यवाई नहीं की। शिकायतकर्ताओं ने बताया की कुछ दिन पहले कुछ लोग आये और सिर्फ जहाँ मतदान होने थे उन्ही हैंडपम्पों को चेक किया जबकि उन जगहों पर नल जल योजना शुरू हो चुकी है। कुछ लोगों ने दबी जुबान में बताया कि उनके जान पहचान में कुछ लोग हैं जिनसे जब बात की तो वो नेटवर्क मार्केटिंग के फायदे बताने लगे। अब यह आरोप कितना सच कितना झूंठ भगवन जाने लेकिन नेटवर्क मार्केटिंग के सब्जबाग दिखा त्योंथर के कई दफ्तरों में लोग हावी हैं इसे नाकारा नहीं जा सकता है।
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ख़राब हैंडपम्प की शिकायतों की बात करें तो लगभग हर तहसील में पीएचई विभाग की लापरवाही व मनमानी की वजह से कई दर्जन हैंडपम्प ख़राब होने का अंदाजा है। एक और बड़ी चुनौती यह है कि पीएचई विभाग अपना संपर्क सूत्र या हेल्पलाइन नंबर आम नहीं करता है जिसकी वजह से ज्यादातर शिकायतें इधर – उधर ठोकरें कहती रहती हैं। चर्चाओं कि माने तो कुछ जगहों में तो जनता का गुस्सा इतना है कि वो कभी भी तहसील परिसर में पहुंचकर हंगामा खड़ा कर सकते हैं या आसान बैठ जायेंगे। अब ऐसे में सवाल है कि जिले में बैठी कलेक्टर महोदया क्या सम्बंधित विभाग पर कोई कार्यवाई कर इन हवा धौंक रहे हैंडपम्पों को तत्काल सुधारने के आदेश देंगी या फिर नज़रअंदाज कर बून्द – बून्द पानी के लिए जनता को भटकने के लिए छोड़ देंगी।