आखिर CEO जिला पंचायत भ्रष्टाचारियों पर इतने मेहरबान क्यों – शिवानंद द्विवेदी

सामाजिक एवं आरटीआई कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सौरभ संजय सोनवड़े पर लगाए अपने आरोपों की एक बार पुनः पुष्टि की है। द्विवेदी का कहना है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सोनवड़े के वह निरंतर संपर्क में बने रहे हैं और बार-बार भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए लिखित तौर पर कई बार आवेदन दिया है साथ ही हर मंगलवार को पंचायतीराज अधिनियम की धारा 89 की सुनवाई के दौरान भी उपस्थित रहकर कार्यवाहियों की माग करते रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सब जानते हुए भी सीईओ जिला पंचायत ने स्वयं ग्राम पंचायत में हो रहे व्यापक स्तर के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का कार्य किया है।

आखिर 7 दिन की नोटिस का जवाब न मिलने पर क्यों दिया जाता है 7 माह का समय ?
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने अपने आरोपों की पुष्टि करते हुए कहा है की सेदहा, चौरी, बांस और जिलहंडी ग्राम पंचायत में विशेष तौर पर भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने लगातार पिछले 1 वर्ष से सीईओ सोनवडे को पत्राचार किया है। और न केवल मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सौरव संजय सोनवडे को लिखित तौर पर अवगत कराया है बल्कि कमिश्नर रीवा संभाग जिला कलेक्टर एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करने के लिए निरंतर लेख लिखा है। लेकिन इसके बावजूद भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा द्वारा कोई सार्थक कार्यवाही न किया जाना और 07 दिन की नोटिस पर 07 सप्ताह अथवा 07 महीने का भ्रष्टों को टाइम दिया जाना इस बात का प्रमाण है कि स्वयं मुख्य कार्यपालन अधिकारी सोनवडे ने भ्रष्टाचारियों का संरक्षण दिया और हाईकोर्ट से नौ याचिकाएं दायर करने के बावजूद भी न तो उनका समय पर जवाब प्रस्तुत किया और न ही स्थगन हटाए जाने के लिए ही कोई प्रयास किया। उल्टा भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते रहे और जहां 07 या 14 दिवस के भीतर वसूली न किए जाने पर सीधे एफआईआर दर्ज करवाया जा सकता था वहां बार-बार भ्रष्टाचारियों को मौका देते रहे। जिसका नतीजा यह हुआ कि सभी भ्रष्टाचारियों को पर्याप्त समय मिला और वह हाईकोर्ट से लगातार मूली भाजी की तरह स्थगन लाते गए। इसे मूली भाजी इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि आपको जानकर ताज्जुब होगा की 9-9 हाईकोर्ट स्थगन लाना किसी आम आदमी के बलबूते की बात नहीं है। बल्कि यह वही लोग कर सकते हैं जिन्होंने पर्याप्त मात्रा में दो नंबर का धन अर्जित किया है क्योंकि वरिष्ठ वकीलों को बिना पर्याप्त फीस दिए हुए इतने स्थगन ला पाना संभव नहीं है।

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जिला पंचायत में कोर्ट मामलों पर नहीं होती है कोई कार्यवाही, स्थगन हटाने की कोई बेहतर प्रक्रिया नहीं
सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने जिला पंचायत के क्रियाकलाप पर प्रहार करते हुए कहा है कि यहां पर मात्र ग्राम पंचायतों में निरंतर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिले की 800 से अधिक ग्राम पंचायत में 14 वें एवं 15 वें वित्त आयोग सहित मनरेगा एवं विधायक सांसद निधियों से प्राप्त होने वाली भारी भरकम राशियों पर निरंतर बंदरबाट किया जा रहा है जिसकी शिकायतें ग्राम पंचायत के प्रबुद्ध और जागरूक नागरिकों के द्वारा लगातार की जाती रही हैं लेकिन इसके बावजूद भी न तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा और न ही संभाग आयुक्त एवं कलेक्टर के द्वारा समय पर जांच करवाई जाती और न ही जांच के बाद कार्यवाही तक होती है जिसका नतीजा यह होता है की जांच रिपोर्ट आने के बावजूद भी फाइलों को जिला पंचायत के बाबू दबाकर रखते हैं और कोई कार्यवाही नहीं करते जिससे भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ा रहता है।

मुद्रित सामग्री में प्रेस का अनिवार्य रूप से उल्लेख करें – उप जिला निर्वाचन अधिकारी

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