बिमारी किसी भी परिवार को तबाह कर सकती है अगर समय रहते उसका इलाज न कराया जाय। ऐसे में जब गरीब परिवारों पर स्वास्थ सम्बन्धी आपदा आती है तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बिमारी के इलाज में लगाने वाला खर्च होता है। इसी खर्च का बोझ कम करने और उत्तम इलाज मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना का शुभारम्भ किया गया था।
आयुष्मान भारत योजना के तहत करोड़ों गरीबों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। इसके तहत कई बिमारियों का इलाज निःशुल्क होता है और साथ ही कई बड़ी सर्जरी भी। जिसमें प्रोस्टेट कैंसर, डबल वाल्व रिप्लेसमेंट, कोरोनरी आर्टरी बयपास, पल्मनरी वाल्व रिप्लेसमेंट, स्कल बेस सर्जरी, टिशु एक्सपेंडर, पीडियाट्रिक सर्जरी, रेडिएशन ओकोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, एनजीयोप्लास्टिक विद स्टेंट जैसी सर्जरी करवाई जा सकती है। यह सर्जरी आप आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आने वाले प्राइवेट अस्पतालों में भी करवा सकते हैं।
हालांकि, आयुष्मान भारत योजना में पहले 1760 तरह की बीमारियों का इलाज होता था लेकिन बाद में इसे 196 बीमारियों और सर्जरी को अलग कर लिया गया था। मतलब निजी अस्पतालों में इन बीमारियों का इस योजना के तहत इलाज बंद हो गया, जिनमें मोतियाबिंद सर्जिकल डिलीवरी और मलेरिया समेत कई अन्य बीमारियां भी शामिल थी।
अगर आंकड़ों की माने तो तकरीबन 80 फ़ीसदी से ज्यादा लोग आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों में ही इलाज करवाते हैं। हालांकि, बड़े और सभी निजी अस्पताल इस योजना अंतर्गत नहीं आते लेकिन कुछ ऐसे अस्पताल हैं जो आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत हैं। कई बार नजदीकी अस्पताल योजना अंतर्गत नहीं आते, जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। खास तौर पर आपातकालीन के मामले में परेशानी बढ़ जाती है। अस्पताल कई बार यह कहते हुए ईलाज से इंकार कर देते हैं कि यह अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत नहीं है। बावजूद जानकारी के मुताबिक हर साल लाखों लोग आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना मुफ्त इलाज करवाते हैं।
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