अनूप गोस्वामी, जवा। एक तरफ साल भर से बच्चे परीक्षा की तैयारी कर रहे तो दूसरी तरफ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा परीक्षार्थियों को कोई समस्या न हो को लेकर लगातार प्रयास जारी है। फिर भी आज दसवीं की परीक्षा से एक छात्रा को वंचित होना पड़ा क्यूंकि उसका प्रवेश पत्र ही जारी नहीं हुआ।
पूरा मामला शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सितलहा, जवा रीवा का है जहाँ दसवीं कक्षा में अद्यारत्न आँचल सिंह पिता मुनेश सिंह को आज आयोजित दसवीं की परीक्षा से वंचित रखा गया। मामले को लेकर जब परिजन स्कूल पहुंचे तो पता चला बच्ची का तो फॉर्म ही नहीं भरा गया है। मीडिया से रूबरू हुई आँचल ने बताया की परीक्षा को लेकर जो भी शुल्क बताया गया था वो जमा कर दिया गया था। बावजूद न तो बच्ची का फॉर्म भरा गया और न ही स्कूल प्रशासन की तरफ से कोई सूचना परिजनों को दी गई। पूरे मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी से सवाल किये गए तो उनका भी बयान महज खानापूर्ति ही साबित हुआ। आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए विद्यालय के प्रिंसिपल पर सारा दोष मढ़ दिया गया लेकिन गाड़ी से उतरकर न तो बच्ची को कार्यवाई का दिलाशा दिया गया और न ही उच्च अधिकारीयों से बात कर बच्ची के साल बचाने को लेकर कोई प्रयास किया गया। जिससे नाराज होकर बच्ची ने साल ख़राब होने पर आत्महत्या की बात कह डाली।
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एक नज़र
जिले भर में शासकीय विद्यालयों की मनमानी किसी से छुपी नहीं है। पहले भी कई बार स्कूलों में चल रही अनियमितताओं को लेकर खबरें चलीं लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी या जिला दण्डा अधिकारी की तरफ से मुँह फेर लिया गया। अब ऐसे में न जाने और कितने बच्चे अपना भविष्य ऐसे ही शासकीय स्कूलों में दांव पर लगाये बैठे हैं और सरकार सिर्फ बैनर – पोस्टर में सर्व शिक्षा अभियान का दावा करती सोशल मीडिया से लेकर नुक्कड़ चौराहे में दिख जाती है।