बड़ी चूक : निजी मजदूरों के आड़ में किसानों से वसूली जाती है मोटी रकम

ब्रह्मानंद त्रिपाठी, रायपुर सोनौरी। एक तरफ सरकार धरती पुत्र किसान के हित में लगातार काम करने का दावा कर रही है और उनके लाभ हेतु तरह – तरह की योजनाएं चला रही है। साथ ही मौजूदा सरकार खेती को लाभ पहुँचाने का दावा भी करती है और नई – नई तकनीक भी इज़ात करती है लेकिन सरकारी तंत्र के ही द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी कर्मचारी धान उपार्जन के आड़ में किसानों को किस कदर लूट रहें हैं, किसी से छुपा नहीं है और सबसे बड़ी बिडम्बना यह है कि अगर कोई किसान मुँह खोलता है तो उसे इतना परेशान कर दिया जाता है कि वो बेचारा न घर का रह जाता है न घाट का।

वर्तमान समय कि बात करें तो जनपद त्यौंथर के पूर्वांचल के धान खरीदी केंद्रों का जहां मांगी, अमिलिया, पड़री, रायपुर, ढखरा खरीदी केंद्रों पर किसानों को खुलेआम लूटा जा रहा है, जिसको देखने वाला कोई नहीं है। इस मामले पर कुछ दिन पहले एक वीडियो काफी तेज़ी से वायरल हुआ था जिसके प्रति जनपद से लेकर जिले तक के कोई भी अधिकारी न तो जाँच करवाई और न ही कार्यवाई करवाई। अब ऐसे उदासीन रवैये से परेशान धरती पुत्र किसान चुपचाप तौलाई, रंगाई, टोकन आदि के लिए अवैध शुल्क अदा कर कन्नी काट लेता है।

मांगी खरीदी केंद्र – सूत्रों कि माने तो इस खरीदी केंद्र के आसपास के इलाके में जहां तक के किसानों का पंजीयन इस केंद्र पर हुआ है, उनमें से कही भी डंकल धान नहीं लगी हुई है। फिर भी कुछ दलालों के माध्यम से उत्तर प्रदेश की धान ला कर खरीदी केंद्र प्रबंधक की सांठ – गांठ पर बेची जा रही है लेकिन अन्य किसानों के लिए तौल कराने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। जैसे पीने योग्य पानी, शौचालय, किसानों के ठहरने की व्यवस्था, आदि।

अमिलिया खरीदी केंद्र – अमिलिया खरीदी केंद्र पूर्व से ही अराजकता की भेट चढ़ी हुई है। यहां के पूर्व प्रबंधक शुक्रमणि मिश्र जिनके ऊपर 3200 कुंतल धान के गमन का आरोप हाईकोट द्वारा लगाया गया है, उन्हे ही फिर समिति प्रबंधक बना दिया गया है। इनके बेटे जो कभी कंप्यूटर आपरेटर थे इन्हे भी पूर्व की धाधली में निकाला गया था लेकिन अब वो भी बहाल हैं, कैसे ? अब अगर प्रशासनिक मदत नहीं मिली तो ये संभव कैसे हुआ ? यहां भी तौलाई देनी पड़ रही है। किसानों को और यदि कोई शिकायत करने या विरोध करने की कोशिश करता है तो उसके साथ मारपीट तक की जाती है।

पड़री खरीदी केंद्र – इस खरीदी केंद्रे में कुछ किसानों द्वारा आरोप लगाया गया कि धान उतारने से पहले ही तौलाई सम्बन्धी चर्चा हो जाती है। अगर आप उनकी शर्तों पर तैयार हैं तो आपको कोई दिक्कत नहीं लेकिन अगर पैसे देने से इंकार किया तो आपके धान कि तरह – तरह कि जाँच का हवाला देकर लटका दिया जाता है। हालाँकि कुछ अन्य किसानों से बात हुई तो उन्होंने इंकार कर दिया।

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रायपुर खरीदी केंद्र – रायपुर खरीदी केंद्र तो अनिमित्ताओं का गढ़ है। यहां के पूर्व कंप्यूटर आपरेटर प्रकाश नारायण अब समिति प्रबंधक हैं और तो और पूर्व में ये दो वेतनभोगी पदों पर भी रह चुके हैं। एक तरफ बेरोजगारी कि मार तो दूसरी तरफ शासन का पद रिक्त न होने का हवाला तो फिर एक ही व्यक्ति को दो वेतन क्यों ? हालाँकि आरोप यह है कि आधिकारिक सांठ गांठ से ही खरीदी केंद्र इन्हे मिला है। यहां भी किसानों से ही तौलाई ली जा रही है और किसी भी प्रकार की मानक सुविधाएं भी किसानों को प्राप्त नही हैं। अब ये समिति रायपुर के पास होने के वजह से आए दिन अधिकारी कर्मचारियों का दौरा होता रहता है पर आज तक उन्हे कोई कमी नहीं मिली जबकि पिछले साल मऊगंज एसडीएम के द्वारा औचक निरीक्षण में अधिक तौल, सुविधाओं कि कमी, आदि चीज़ें देखनों को मिली थी। बावजूद जाँच खानापूर्ति बस रह गई। लोगों की माने तो अधिकारी भी सिर्फ अनैतिक लाभ लेकर खानापूर्ति कर निकल जाते हैं और फिर उनका भी अदृश्य खर्च किसानों के ही पल्ले बांध दिया जाता है। यहां के समिति प्रबंधक द्वारा आए लोगों और खासकर पत्रकारों के लिए एक विशेष सुविधा दी जाती है। अगर कोई ऐसा पत्रकार आया जो ले दे कर नहीं मान रहा तो समिति प्रबंधक द्वारा उसके पीछे शराबियों को छोड़ दिया जाता है जो लगातार फील्ड में मौजूद पत्रकारों को गाली देता है और मारपीट पर अमादा रहता है तब तक जब तक कि वो वहां से निकल नहीं जाता है। अब ऐसा क्यों होता है ये जांच का विषय है।

ढखरा खरीदी केंद्र – आपको याद होगा अभी हाल ही में ढखरा खरीदी केंद्र का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था जिसमें तौलाई 6 रुपए प्रति बोरी लेने की बात साफ – साफ सामने आई थी लेकिन फिर भी किसी प्रकार की कोई जांच नहीं की गई उल्टे सच कहने वाले किसान को अनैतिक तरीके से परेशान किया गया। समिति प्रबंधक राजेश कुमार मिश्रा का साफ कहना है शिकायत से होना कुछ नहीं है बस कुछ देना पड़ जाता है और मामला सेट हो जाता है। सूत्रों कि माने तो ढखरा खरीदी केंद्र पर अभी भी किसानों से तौल ली जा रही है। केंद्र में पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। किसान मजबूर है। खुले में रात बिताने के लिए और यहां भी उत्तर प्रदेश से बड़ी मात्रा में अवैध धान लाई जाती है। खुद समिति प्रबंधक के घर वालों के नाम जमीन न होते हुए भी बड़े – बड़े खाते बने हुए है जिनमे अवैध धान धड़ल्ले से बेची जा रही है। मौजूदा केंद्र से एडीएम रीवा को भी जानकारी उपलब्ध कराई गई थी लेकिन वो भी महज एक आश्वाशन ही साबित हुई।

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अब जरा विचार करने वाली बात है कि इतनी प्रशासनिक चौकसी और निगरानी के बाद भी ये धांधली बिना जिम्मेदारों की सह के कैसे मुमकिन है। किसानों से ये खुली लूट अनवरत कई वर्षो से इसी तरह चली आ रही है और इसमें तहसील स्तर से लेकर जिला स्तर के प्रशासनिक कर्मचारियों की सह होती है। नाम ना छापने की शर्त पर कुछ किसानों ने यह भी बताया की सिर्फ कर्मचारी ही नहीं यहां तक की कुछ पत्रकार भी इस लूट में बराबर के हिस्सेदार होते हैं जिनका कमीशन हर खरीदी केंद्रों से फिक्स होता है। त्यौंथर पूर्वांचल के कई किसानों का ये कहना है की प्रशासन अगर इस धांधली पर ध्यान नहीं देता है तो ये हम किसानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा जिसकी जिम्मेदार विभाग में बैठे बड़े – बड़े अधिकारी भी हैं।

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