चाकघाट किडनैपिंग : क्या हक़ीक़त में हुई है वारदात या फिर मनगढ़त कहानी


चन्दन भइया, चाकघाट। बीते 11 सितम्बर को तक़रीबन सवा 3 बजे से चाकघाट थाना पुलिस, जनेह थाना पुलिस, सोहागी थाना पुलिस और त्योंथर चौकी पुलिस के साथ – साथ सोहागी पहाड़ टोल और गन्ने टोल को भी हाई अलर्ट पर रखा गया। जिसके पीछे की वजह थी एक बच्चे का अपहरण। कई थानों के पुलिस बल द्वारा चाकघाट से चन्दपुर, चन्दपुर से शंकरगढ़, त्योंथर से चिल्ला, सोहागी से बघेड़ी – सोनौरी आदि संभावित क्षेत्रों में तफ्तीश शुरू कर दी गई। मामला बच्चे के अपहरण का था तो पुलिस बल ने भी पूरा जोर लगा दिया। इसी दौरान वारदात वाली जगह के आसपास पूँछ – तांछ के साथ – साथ सीसीटीवी भी खंगाले गए और उनके फुटेज भी बरामद किये गए लेकिन न तो अपरहण का कोई सबूत हाँथ लगा और न ही कोई गवाह मिला।

ख़बर विस्तार से
जानकारी के मुताबिक सेंट मैरी स्कूल चाकघाट में पढ़ने वाले मानस (बदला हुआ नाम) उम्र 11 साल ने घर पहुँच कर अज्ञात लोगों पर खुद के अपहरण का आरोप लगाया है। मानस (बदला हुआ नाम) ने बताया की रोज कि तरह स्कूल की छुट्टी के बाद वह स्कूल से निकल ही रहा था कि कुछ लोग जो उससे उम्र में काफी बड़े दिख रहे थे, द्वारा दोस्ती के लिए बोला गया। मानस (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन लोगों को उसने मना कर दिया तो उसका पसीना पोंछने के बहाने उसके चेहरे पर अज्ञात व्यक्ति द्वारा रुमाल घुमाया गया जिसके बाद वो अचेत हो गया। मानस (बदला हुआ नाम) के अनुसार ये सारा घटनाक्रम स्कूल कैंपस के अंदर घटित हुआ। अचेत अवस्था में मानस (बदला हुआ नाम) स्कूल से बाहर आया तो हाईवे के पास कुछ लोगों द्वारा उसे बलेरो में बिठा लिया जाता है। मानस (बदला हुआ नाम) के अनुसार वारदात में चार लोग शामिल थें। जब मानस (बदला हुआ नाम) को होश आता है तो मानस (बदला हुआ नाम) खुद को बड़े हनुमान मंदिर चाकघाट के पास एक बलेरो में चार लोगों के बीच पाता है। मानस (बदला हुआ नाम) अपहरणकर्ता पर लगाड़ें (विभाजक) से हमला करता है और बलेरो से कूद कर भाग निकलता है। मानस (बदला हुआ नाम) तक़रीबन डेढ़ किलोमीटर का सफर तय कर के घर पहुँचता है और अपने माता – पिता को वारदात की पूरी कहानी बता देता है, जिसके बाद पुलिस बल चौकन्ना हो जाता है और अलर्ट जारी कर छानबीन शुरू कर देता है।

सीसीटीवी फुटेज और व्यापारियों से पूँछ – तांछ
मानस (बदला हुआ नाम) द्वारा बताई गई वारदात को जमींन में तलाशने निकली टीम को कोई भी ठोस सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके की अपहरण जैसी कोई वारदात को वहाँ अंजाम दिया गया हो। स्कूल से निकल कर हाईवे में आने वाले रास्ते पर भी सीसीटीवी लगे हुए हैं। उस फुटेज में भी मानस (बदला हुआ नाम) आम बच्चो की तरह चल रहा है। फुटेज में कहीं भी आगे – पीछे कोई संदेही नहीं दिख रहा है। मानस (बदला हुआ नाम) का आरोप है कि उस वक़्त कोई भी स्कूल का सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था जबकि आसपास के कई दुकानदारों का कहना है कि वारदात का जो समय बताया जा रहा है उस वक़्त स्कूल के सुरक्षाकर्मी हाईवे पर रोज की तरह मौजूद थे। सड़क के दोनों तरफ के व्यापारियों से वारदात को लेकर चर्चा की गई। उनके द्वारा भी कुछ भी ऐसा नहीं देखा गया। स्कूल प्रशासन से भी बात की गई और घंटों का सीसीटीवी फुटेज खंगाला गया तो वहाँ भी कुछ संदेह करने लायक या मानस (बदला हुआ नाम) द्वारा बताई गई शिनाख्ती नहीं पाई गई। जिसके बाद मानस (बदला हुआ नाम) का पढ़ाई सम्बन्धी दस्तावेज, वारदात के दिन आखिरी दो कक्षाएँ जैसे आदि बिंदुओं को लेकर विभिन्न पहलुओं पर जाँच की गई। हालाँकि पूरे घटनाक्रम में न तो कोई गवाह है और न ही कोई सबूत।

एक नज़र
वारदात को लेकर कई सवाल ऐसे हैं जो वारदात को कहानी का रूप दे रहे, जैसे सैकड़ों बच्चों के बीच मानस (बदला हुआ नाम) को बेहोश करना, कई रेड़ी और दुकान वालों के सामने से अपहरण करना, उसका बलेरो से कूद कर भागना लेकिन चोट नहीं लगना, रोजमर्रा के रास्ते को छोड़कर दूसरे रास्ते से जाना, अनजान लोगों का नशे की हालत में स्कूल के अंदर आना, बैग का नेहरू स्मारक के मैदान में मिलना, सीसीटीवी फुटेज में उसका आराम से चलना आदि। इन सब के बावजूद अगर मानस (बदला हुआ नाम) की उम्र और दिए जा रहे बयान पर ध्यान डालें तो मानस (बदला हुआ नाम) की कहानी में वारदात की झलक है और कोई भी आम बच्चा जो कि तक़रीबन दस साल का हो वो इतनी बड़ी मनगढ़त कहानी नहीं बना पायेगा। कई बिंदुओं और पहलुओं पर ध्यान दिया जाय तो स्कूल को बच्चों कि सुरक्षा व्यवस्था पर और ध्यान देने कि जरुरत पड़ सकती है तो वहीं प्रशासनिक अमलें को खास कर जब सभी स्कूलों की छुट्टियां होती हैं तो उनके इर्द – गिर्द पेट्रोलिंग को बढ़ाने की ज़रूरत है। हालाँकि मामले को लेकर अभी भी जाँच जारी है।


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