” अफवाह नहीं हकीकत ” – चार संगठनों की एकजुट होने की बात

शफात मंसूरी, त्योंथर। कुछ व्हाट्सअप ग्रुप में एक मैसेज पोस्ट कर प्रदेश में आशाओं के बीच काम कर रहे चार प्रमुख संगठनों की एकजुट होने की बात को अफवाह बताकर आशा उषा एवं पर्यवेक्षकों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार हकीकत में सभी लोग यह जानते हैं कि यह चारों संगठन आशाओं के बीच में कई स्वतंत्र रूप से यह संगठन संयुक्त मोर्चा बनाकर अलग – अलग मांग पत्र को लेकर आशाओं के लिए वर्षों से लगातार आंदोलन कर रहा था। आज वह चारों संगठन, कई भिन्नताओं के बावजूद अपने – अपने स्तर पर लगातार संघर्ष करती रही है। इस दौरान कई हडताल व प्रदेश भर में सैकडों प्रदर्शनों, 62 दिनों की ऐतिहासिक हडताल एवं भोपाल में विराट प्रदर्शन आदि के माध्यम से मुख्यमंत्री, मिशन संचालक, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, पूर्व मुख्यमंत्रियों, सांसदों, मंत्रियों, प्रदेश भर की सत्ता एवं विपक्ष के सभी स्तर के जन प्रतिनिधियों के माध्यम से हजारों ज्ञापन दिया जो पूरे प्रदेश के सामने है। यह चारों संगठन प्रदेश की 84,000 आशाओं की मांगों का निराकरण के लिये, आशाओं की भावनाओं के अनुरूप 9 जुलाई 2023 को भोपाल में संयुक्त बैठक कर “एकजुट होकर, एक मोर्चे के बेनर तले, एक मांग पत्र पर संघर्ष करने के लिये” सहमति व्यक्त की।

चारों संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने 10 जुलाई को चारों संगठनों के अध्यक्षों के हस्ताक्षर के साथ मुख्यमंत्री निवास एवं मिशन संचालक कार्यालय में सामूहिक रूप से ज्ञापन दिया। प्रदेश भर की आशा उषा एवं पर्यवेक्षकों सहित सभी शुभचिंतकों ने इसमें शुशी जाहिर की एवं शुभकामनायें दी। दुर्भाग्य से एक संगठन ” आशाओं के आशा का केंद्र बनी इस संयुक्त मोर्चा को दुकान एवं उसके नेताओं को दुकानदार कहकर बदनाम करने का प्रयास कर रहे है। इनकी साजिशों को सभी लोग आसानी से पहचान लिये होंगे। इनकी यह हरकत चित लेटकर ऊपर की ओर थूकना जैसे है। जो थूकने वाले पर ही पड़ना स्वाभाविक है। अभी यह संगठन बडी ईमानदारी के साथ उन संगठनों के नेताओं एवं संगठनों को तोडने में लगी है, जो अन्य यूनियनें वर्षें की संघर्ष और मेहनत से तैयार की है। सरकार का प्रभाव और दबाव का दुरुपयोग कर आशाओं के संगठनों को तोड़ने का यह प्रयास सराहनीय कतई नहीं है। जिस संगठन ने आशाओं को संगठित कर, उनको लडने के लिये काबिल बनाने के लिये कुछ नहीं किया। 18 वर्षों से जारी शोषण के दौरान सत्ता के साथ रह कर शोषण को जारी रखने में सरकार का मदद किया, वह संगठन आज यह दावा करें कि आशाओं की भला वे ही कर सकती है तो इससे ज्यादा हास्यास्पद बात क्या हो सकती है ? यह स्ष्ट है कि प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षक इनकी कारनामों को पहचान लेंगे एवं सही जवाब देंगे।

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