विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने तिवनी ग्राम में रामनरेश निष्ठुर द्वारा रचित दो किताबों बसामन के वासुदेव और निष्ठुर मुक्तकखण्ड 2 का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को प्रकृति ने अनुपम उपहार दिया है। समाज की पीड़ा, समाज का दुख, इतिहास, सभ्यता, परंपराये अपने अन्तर्मन में समेट कर जो कृतिया रचता है वह अद्भुत होती है। आज हमारा समाज दिशाहीन है। आज के युवा सृजनात्मक कार्य न कर अन्य कार्यों में लगे हुये है। साहित्यकारों का दायित्व हैं कि वे समाज को नई दिशा देने का दायित्व निभायें। साहित्यकार सृजनात्मक कृतियों का लेखन कर युवा पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त करें।
उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास को तोड़मडोरकर लिखा गया। जिसने अपने पिता को जेल में डाला, अपने भाईयों को मारकर गद्दी में बैठा उसको हम बड़े शान से पढ़ते हैं। लेकिन हम अपने देश के लिये बेटो का प्राण न्योछावर करने वाले गुरू तेगबहादुर, शिवाजी महराणा प्रताप को नहीं पढ़ते। अपने इतिहास में सुधार करने पर हमकों साम्प्रदायिक कहा जाता है। हमारे आदर्श भगवान राम एवं कृष्ण है। हमारी आने वाली पीढ़ी को देश के इतिहास की वास्तविकता से परिचित कराने का दायित्व साहित्यकारों का है।
उन्होंने कहा कि रामनरेश तिवारी निष्ठुर ने बसामन के वासुदेव की कृति में एक प्रकृति प्रेमी, पेड़ों, पौधों से प्यार करने वाले बसामन मामा को इतनी संवेदना के साथ रचा है कि पाठक अपने आप उसमें बंध जायेगा। चन्द्रिका प्रसाद चन्द्र की रचनाये भी वास्तविकता के धरातल पर रची गई अद्भुत रचनाये है। वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल की लेखनी में वह धार है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती इन्होंने अपनी प्रतिभा से प्रकृति एवं राजनीति के सभी पहलुओं को छुआ है। उन्होंने कहा कि साहित्यकार जब देश की तरक्की, संरस्कार एवं परंपरा को जीवित रखेंगे तभी हमारी संस्कृति जीवित रहेगी। उन्होंने कहा कि अपने सृजनात्मक साहित्य को हमने भुला दिया। हमने अपने वेदो, पुराणों, आख्यानों पर विश्वास न कर पश्चिमी सभ्यता को अपनाया। प्राचीन साहित्यकार तुलसी, बालमीक, वेदव्यास, कालिदास हमारी अस्मिता के प्रतीक है। हिन्दी विभाग के एचओडी दिनेश कुशवाहा ने कहा कि जिस प्रकार पुत्र के उत्पन्न होने पर माँ का ह्मदय प्रफुल्लित एवं आनन्दित हो जाता है उसी प्रकार किसी कवि की कविता जब प्रकाशित होती है तो वह अपनी रचना को देखकर आनन्दित होता है। रामनरेश तिवारी निष्ठुर द्वारा रचित बसामन मामा के वासुदेव कृति में बसामन मामा वे लोक देवता है। वे हमेशा निर्बल, नि:सहाय, पीड़ित जिसका कोई सहारा नहीं होता उसकी सहायता करते है।
कार्यक्रम में राजकरण शुक्ल राज, चन्द्रिका प्रसाद चन्द्र, पद्मश्री बाबूलाल दाहिया, डॉ. लाल जी गौतम, वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल, बालेन्दु तिवारी, राशि रमण तिवारी, मुनेन्द्र तिवारी, शिवशंकर मिश्र, सहित साहित्यकार कवि एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे।