नेहरू स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय चाकघाट प्राचार्य पर अव्यवस्थाओं का आरोप

महाविद्यालयों में शिक्षा का स्तर क्या है शायद ही किसी को बताने की ज़रूरत है लेकिन यहाँ मामला शिक्षा का नहीं बल्कि सरकार द्वारा जी रही सुविधाओं में अड़ंगा डालने से परेशान एक अभिभावक का है। जिनकी बच्ची को निजी समस्याओं की वजह से या यह कहिये अहम् की वजह से शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं से वंचित होना पड़ा है और समस्या भी सिर्फ राई के दाने के बराबर जिसमें प्राचार्य का अगर एक टिप लग जाता तो उसे सुविधा मिल जाती।

मामला जिले के सबसे पुराने महाविद्यालय नेहरू स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय चाकघाट का है। जहाँ अभिभावक रामायण प्रसाद त्रिपाठी जी ने महाविद्यालय के वर्तमान प्राचार्य पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक उनकी बच्ची को तकनिकी खामियों की वजह से शासन द्वारा दी जा रही गांव की बेटी योजना के तहत छात्रवृति नहीं मिल पाई थी, इस समस्या को लेकर वो महाविद्यालय के प्राचार्य के पास गई और जानकारी दी। त्रिपाठी जी ने आगे बताया की बच्ची बड़ी उम्मीद के साथ गई थी और लटका हुआ चेहरा लेकर वापस आई। पूंछने पर पता चला प्राचार्य द्वारा बच्ची की मदद करने के बजाय उसको उल्टा डांट लगा दी गई थी लेकिन मदद नहीं की गई। त्रिपाठी जी ने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इस साल जब बच्ची दाखिले के लिए गई थी तब भी पिछली बार कि गई सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की वजह से भी उसे डांट फटकार लगाई गई थी। साथ ही शिकायत से नाराज प्राचार्य ने त्रिपाठी जी पर भी अपना रौब झाड़ने और दबाव बनाने का प्रयास किया था। महज एक छात्रवृति को लेकर आखिर इतनी बड़ी समस्या कैसे पैदा हो गई जबकि शासन – प्रशासन दिन – रात एक करके प्रत्येक पात्र व्यक्ति को योजना का लाभ दिलाने का दावा करता है। त्रिपाठी जी ने आगे बताया की वो जब भी प्राचार्य से मिलने महाविद्यालय आते हैं, प्राचार्य गायब ही रहते हैं और अपना सारा काम किसी और के कंधे पर डाल चुके हैं। जिसकी वजह से महाविद्यालय में न तो कक्षाएँ संचालित होती हैं और न ही किसी तरह की शैक्षणिक व्यवस्थायें उपलब्ध होती हैं। त्रिपाठी जी ने यह भी कहा कि बच्चो ने ही नहीं बल्कि कई स्टाफ ने भी दबे जुबान पर महाविद्यालय को लेकर प्राचार्य का विरोध किया था और इसी के चलते हांथापाई भी हुई थी।

एक नज़र
जानकारी के मुताबिक नेहरू स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय चाकघाट का इतिहास बहुत पुराना है। बावजूद अब तक शासन – प्रशासन कि उदासीनता झेल रहा है। साथ ही मौजूदा समय में महविद्यालय में कई ऐसी समस्याएं और जुगाड़ चल रहे कि अगर कभी औचक निरीक्षण हो जाये तो मौजूदा समिति समेत कई नामी गिरामी लोग भी जद में आ जायेंगे। हालाँकि त्रिपाठी जी द्वारा लगाए गए आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा लेकिन जर्जर हो रहे नेहरू स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय चाकघाट कि हकीकत किसी से छुपी नहीं है।

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