रीवा जिले में किसानों की सिंचाई के लिए बनाए गए बांध और नहरों की जानकारी आपको निरंतर कुछ एपिसोड से दी जा रही है। अब आपको हम इस नए एपिसोड में जल संसाधन विभाग के कमीशनखोर अधिकारियों भ्रष्ट ठेकेदारों और नेताओं के और भी काले कारनामे दिखा रहे हैं। जहां बेलहा बांध में आपने देखा कि किस प्रकार से पूरा बांध भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया और कैसे घटिया और गुणवत्ताविहीन इंजीनियरिंग के कारण टूट गया वहीं आज इस एपिसोड में आपको मऊगंज से थोड़ा आगे चलकर हनुमना तहसील के जूड़ा बांध के विषय में आपको दिखाएंगे। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के साथ जल संसाधन विभाग बाणसागर के रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा, पेंशनर समाज के अध्यक्ष और समाजसेवी डॉ मंगलेश्वर सिंह और चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार जूड़ा बांध में उपस्थित होकर बांध की स्थिति का जायजा लिया। तो फिर जूड़ा बांध के इस एपिसोड के पहले अंक में हम आपको इस न्यूज़ के माध्यम से पानी निकासी के लिए बनाए गए ड्रेनेज सिस्टम की कमियों की जानकारी देंगे। आप देख सकते हैं कि जूड़ा बांध में किस प्रकार 24 घंटे लगातार पानी बहता रहता है। टटिहरा ग्राम में बने जूड़ा बांध के वेस्ट वियर स्ट्रक्चर को देखने पर पता चला की इसमें अतिरिक्त जल निकासी के लिए रास्ता न बनाए जाने से पानी वापस आकर नहर को तोड़ रहा था। हेड स्लूष से पानी एस्केप कैनाल की तरफ डायवर्ट हो रहा था क्योंकि मेंटेनेंस के लिए बनाया गया एस्केप कैनाल ही काम कर रहा था मुख्य नहर काम नही कर रही थी। बांध और वेस्ट वियर के बीच बनाई गई दीवाल भी टूटकर गुणवत्ताविहीन स्थिति प्रदर्शित कर रही थी। वहीं वेस्ट वियर की दीवाल भी पूरी तरह से गुणवताविहीन मटेरियल की बनाई गई थी जिसमे बड़ी बड़ी दरारें और गड्ढे दूर से ही देखे जा सकते थे। अधीक्षण अभियंता नागेंद्र प्रसाद मिश्रा ने पूरे मामले को विस्तार से समझाया। ( एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी )
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