किसानों की नहर सिंचाई के नाम पर जल संसाधन विभाग में अच्छा खासा घालमेल चल रहा है। बांधों के माध्यम से नहरों को सप्लाई किए जाने वाले पानी का जायजा लेने के लिए जब मऊगंज और हनुमना क्षेत्र की तरफ का रुख किया गया तो पता चला कि मऊगंज हनुमना तहसील में बनाए गए दर्जनों बांध मात्र दिखावे के लिए बनाए गए हैं जबकि नहरों से लोगों को पानी नहीं मिल रहे हैं। गांव के किसान गरीब की आवाज दबी हुई है जिसका परिणाम है कि उनका निरंतर शोषण किया जा रहा है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की समस्या को उठाने वाला कोई नहीं है। जानकारी लेने पर पता चला की मऊगंज के बेलहा नामक बांध में वर्षों से पानी नहीं भरा क्योंकि घटिया इंजीनियरिंग की वजह से दरार आने से बांध का एक सिरा टूट गया था जिसे अब नए ढंग से बनाए जाने का कार्य किया जा रहा है।
रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने बेलहा बांध का किया निरीक्षण, बताया घटिया इंजीनियरिंग का नमूना
इस बीच पिछले दिनों जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता शेर बहादुर सिंह परिहार और एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने मऊगंज क्षेत्र की नहरों और बांधों का निरीक्षण किया। इस बीच पहले निरीक्षण के दौरान बेल्हा बांध की स्थिति खराब पाई गई जिसके विषय में उपस्थित रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने विस्तार से खामियों के बारे में भी बताया। सामान्य तौर पर बांध के चारों तरफ बनाई जाने वाले भीट में साफ सफाई का कार्य किया जाता है जिससे अनावश्यक घास फूस और पेड़ पौधे नहीं उगते लेकिन यहां पर उल्टा देखने को मिला। पता चला कि जब से बांध का निर्माण किया गया है तब से कभी भी बांध का रखरखाव नहीं किया गया। जिसका परिणाम यह था कि बांध में दरार आ गई और किसानों को पिछले 4 वर्षों से सिंचाई के लिए कोई पानी नहीं मिला जिसकी वजह से किसानों की फसलें भी नष्ट हुई और बांध टूटने के चारो तरफ पानी भर जाने से फसलें भी नष्ट हुई। इस बीच नहरें भी जगह-जगह टूटी हुई मिली। (एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी)