प्रदेश में ग्राम पंचायतों में अराजकता का माहौल है। पंचायत प्रतिनिधि और सरपंच सचिव अपने चहेते मटेरियल सप्लायर के नाम पर फर्जी बिल वाउचर लगाकर विकास के लिए आने वाली राशि हजम कर रहे हैं। गौरतलब है की ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में 5 हजार से लेकर 50 हजार तक के कार्यों के मटेरियल सप्लाई हेतु विधिवत ग्राम सभा से अनुमोदन लिया जाकर समिति की अनुशंसा के बाद ही राशि का आहरण किया जाता है और मटेरियल की खरीद की जाती है वहीं यदि 50 हजार से अधिक सामग्री क्रय की बात करें तो यहां पर यह बताना आवश्यक है कि मध्य प्रदेश पंचायत सामग्री माल क्रय अधिनियम 1999 के तहत विधिवत निविदा जारी की जाती है और सबसे कम टेंडर वाले मटेरियल सप्लायर का चुनाव किया जाता है। बाद में इसी सबसे कम टेंडर वाले मटेरियल सप्लायर से ही सामग्री खरीद किए जाने का प्रावधान रखा गया है।
लेकिन आज ग्राम पंचायतों में वित्त आयोग, पंचायत दर्पण एवं मनरेगा योजना की राशि एकमुश्त आहरित कर ली जाती है और फर्जी बिल वाउचर लगाकर फर्जी मटेरियल सप्लायर के नाम पर राशि हजम कर ली जाती है। हालांकि इसकी जानकारी ग्राम पंचायत से लेकर जनपद पंचायत और जिला स्तर और यहां तक की प्रदेश में बैठे हुए कमीशनखोर आला अधिकारियों के पास तक रहती है। क्योंकि प्रतिदिन और साप्ताहिक तौर पर पंचायती खातों की समीक्षा होती है और समस्त डाटा ऑनलाइन होते हुए यह जानकारी सार्वजनिक रहती है लेकिन इसके बावजूद भी जिला जनपद से लेकर प्रदेश स्तर तक बैठे हुए कुछ कमीशनखोर आला अधिकारी अपनी दसों इंद्रियां बंद करके रखते हैं और पंचायतों में क्या घोटाला चल रहा है इसके बारे में आंख में पट्टी और मुंह में ताला लगाए रहते हैं। कोई शिकायतकर्ता या ग्रामीण व्यक्ति अपने पंचायत में भ्रष्टाचार की जब शिकायत करता है इसके बाद जांच पर जांच होती हैं और जांचों में भी तरीके से कार्यवाही नहीं की जाती है। लगातार शिकायतों के बाद यदि कोई कार्यवाही होती भी है तो सुनवाई के नाम पर वर्षों लगा दिए जाते हैं जिसके बाद पुनः जांच किया जाकर मामलों को दबा दिया जाता है अथवा वसूली राशि को कम कर दिया जाता है। एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी का कहना है की यह एक गंभीर मामला है जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान लिए जाने की आवश्यकता है अन्यथा पंचायत का भ्रष्टाचार कभी नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा की ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्य में सामग्री खरीदी के लिए मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 एवं साथ मे मध्य प्रदेश पंचायत सामग्री माल क्रय अधिनियम 1999 का नियमानुसार पालन किया जाए और फर्जी मटेरियल सप्लायर के नाम पर की जा रही राशि निकासी और बिना कार्य किए जा रहे गबन के मामलों पर तत्काल एफआईआर दर्ज करवाई जाए। ( शिवानंद द्विवेदी,आरटीआई एक्टिविस्ट )
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