सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चाकघाट में अव्यवस्थाओं का बोलबाला, एक पर्ची में छुपा है राज

चाकघाट। जनता को बेहतर इलाज मिले इसलिए शासन द्वारा जगह – जगह पर सरकारी अस्पतालों का निर्माण कराया गया और दवाइयाँ मुफ्त की गई। साथ ही धीरे – धीरे स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए बजट पर विशेष ध्यान दिया गया और कोई बीमारी से ग्रसित रह न जाये उसके लिए नगर हो या गाँव स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति भी की। जनता को और ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएँ मिले इसके लिए अब ज्यादातर जाँच मुफ्त में होती है। लेकिन अफ़सोस सरकारी अस्पताल के कुछ कर्मचारियों को यह रास नहीं आता और वो अपनी जिम्मेदारी शायद भूल चुके हैं।

ताज़ा मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चाकघाट का है जहाँ शुक्रवार को साढ़े 10 बजे तक एक भी चिकित्सक अस्पताल में मौजूद नहीं थे। इस सम्बन्ध में जब अस्पताल में मौजूद कुछ कर्मचारियों से चिकित्सकों के बैठने का समय पूंछा गया तो वो मौन रहे लेकिन बढ़ती भीड़ के सवालों ने उन्हें परेशान जरूर किया होगा जिसके बाद उन्होंने दो टूक में जबाब दिया ” हमें नहीं पता “। इस सम्बन्ध में जब त्योंथर बीएमओ के बी पटेल को फ़ोन के माध्यम से सूचित किया गया तो उन्होंने भी जानकारी न होने का हवाला दिया। हालाँकि उनके द्वारा जानकारी साझा की गई की ओपीडी सुबह 9 से 2 बजे तक रहता है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है क्यूंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।

मरीजों को देते हैं निजी अस्पताल में दिखाने कि नसीहत
नाम न छापने के शर्त पर कुछ मरीजों ने जानकारी दी कि चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचने वाले ज्यादातर मरीजों को इलाज कर रहे एक चिकित्सक द्वारा शंकरगढ़ के एक निजी अस्पताल में दिखाने की नसीहत दी जाती है और एक पर्ची पर नाम नंबर लिख कर दिया जाता है। हालाँकि शासन – प्रशासन द्वारा जारी कि गई निर्देशिका पर भी ध्यान दें तो मरीजों को त्योंथर अस्पताल या संजय गाँधी मेडिकल अस्पताल रीवा भेजना चाहिए। अब ऐसे में सवाल उठता है कि नियम विरुद्ध कार्य करने वाले इन चिकित्सकों को किसका संरक्षण है ?

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सरकारी अस्पताल में जाने वाले ज्यादातर मरीज़ों कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती और ऐसे में सरकारी अस्पताल के चिकित्सक का यह कहना कि, ” जाओ इस पर्ची में जो नंबर दिया है उनसे बात कर लो और वहाँ इलाज कराओ यहाँ सरकारी अस्पताल में कोई सुविधा नहीं मिलेगी मर जाओगे ” कहना कितना उचित है ?

इधर बीएमओ को फ़ोन हुआ, उधर सिस्टम में सुधार दिखने लगा
त्योंथर बीएमओ को फ़ोन पर सूचना देने के कुछ ही देर बाद एक चिकित्सक अस्पताल पहुँच गए और व्यवस्थाओं में सुधार दिखने लगा लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। आपको याद दिला दें कि पूर्व में बीएमओ के बी पटेल पर भी सुमन योजना में बड़ी गड़बड़ी करने और करवाने के कई आरोप लग चुके हैं। कई बार त्योंथर अस्पताल में चल रही अव्यवस्था को लेकर भी खबरें चली हैं और त्योंथर पुरानी अस्पताल का भी मामला सुर्ख़ियों में है। फिर भी आज तक किसी भी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाई देखने को नहीं मिली है।

एक नज़र
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा एक सभा में चापलूसों और दलालों को लेकर कहा गया था इनकी खैर नहीं और साथ ही उनके द्वारा यह भी कहा जाता रहा है कि सिस्टम में गड़बड़ करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा। लेकिन शायद सिस्टम में गड़बड़ करने वालों ने इसे सुना नहीं या फिर नज़रअंदाज कर दिया। अब देखना यह है कि विभाग द्वारा कब औचक निरीक्षण कर ऐसे मामलों पर कार्यवाई की जाएगी और जनता को न्याय मिलेगा।

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