ख़बर हट के : सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में की गयी जागृत ब्रेन सर्जरी

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा जिले एवं आसपास के क्षेत्र के मरीजों के लिए वरदान बनकर उभरा है। यदि गंभीर से गंभीर ह्दय रोगी मरीज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंच गया है तो वह दक्ष चिकित्सकों द्वारा ह्मदय रोग के उपचार के उपरांत प्रसन्न होकर ही अपने घर वापस लौटा है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की उपलब्धियों में एक उपलब्धि और जुड़ गयी है। अस्पताल में न्यूरोसर्जरी विभाग के दक्ष चिकित्सकों द्वारा सफल जागृत ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी कर मरीज को गंभीर बीमारी से मुक्त किया गया है।

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि मुनीश के ब्रेन में गांठ पड़ गयी थी जिस कारण से 8 वर्षों से मुनीश को बार-बार मिर्गी का दौरा पड़ता था। मुनीश कई बड़े शहरों के अस्पताल में अपना उपचार करा चुके थे लेकिन उनकी बीमारी जस की तस बनी हुई थी। दवा लेने के उपरांत भी गांठ नहीं घुली थी। थकहार कर मुनीश सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती हुए उन्होंने न्यूरोसर्जरी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. रंजीत झा से परामर्श लिया। डॉ. झा द्वारा गांठ को पुन: दवा द्वारा ठीक करने का प्रयास किया गया। किंतु 3 महीने बीत जाने के बाद भी गांठ को ठीक न होते हुए देखकर डॉ. झा द्वारा मुनीश को जागृत ब्रेन सर्जरी द्वारा ब्रेन ट्यूमर को निकालने का निर्णय लिया गया। ऑपरेशन के दौरान मुनीश चिकित्सकों से बातचीत करता रहा तथा बिना निश्चेतना के ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया गया।

अधीक्षक डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रोन के आपरेशन के दौरान मरीज को पूरी तरह से बेहोश करके रखा जाता है। ब्रेन ट्यूमर की जागृत सर्जरी के दौरान मरीज पूरी तरह से होश में रहता है और बातचीत कर सकता है। उन्होंने बताया कि ब्रोन में जो गांठ थी वो ब्रेन में केन्द्रित बोलने की क्षमता वाले केन्द्र के काफी नजदीक थी ऐसे में आपरेशन के दौरान मरीज की आवाज खोने का काफी डर था इसी कारण से मरीज को पूरी तरह से बेहोश नहीं किया गया ताकि वह आपरेशन के दौरान बातचीत कर सके एवं यदि मरीज के बोलचाल में परिवर्तन आता है तो उसको समय रहते बचाया जा सके। आपरेशन के दौरान मुनीश से बातचीत लगातार चालू रही एवं मरीज अपना नाम, पता और एक से 100 तक गिनती सुनाता रहा एवं डॉक्टरों से बात करता रहा ऑपरेशन के दौरान मरीज की स्थिति स्थिर रही।

आपरेशन के जोखिम की जानकारी देते हुए डॉ. झा ने बताया कि आपरेशन के दौरान मिर्गी के दौरे पड़ने का रिस्क बहुत अधिक रहता है। मरीज का ब्लड प्रेशर नियंत्रित करना मुश्किल काम होता है इन कारणों से जान का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। उक्त आपरेशन को सफलतापूर्वक करने में सहायक प्राध्यापक डॉ. रंजीत झा, डॉ. पंकज सिंह, ऋषि गर्ग, डॉ. उपेन्द्र सिंह, डॉ. सुभाष अग्रवाल, डॉ. लाल प्रवीण सिंह, डॉ. निष्ठा एवं नर्सिंग स्टाफ प्रीतु दूबे, आशीष, दीपक एवं शिवा का योगदान रहा। (JS)

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