मप्र विधानसभा में बजट सत्र का आज पांचवां दिन है। गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम द्वारा कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को सत्र की बाकी अवधि से निलंबित किए जाने से कांग्रेस बौखलाई हुई है। कल पटवारी के विरुद्ध हुई कार्यवाही के विरोध में कांग्रेस पूरी तरह से उनके साथ खड़ी हो गई। गुरुवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के आवास पर विधायक दल की बैठक हुई। इसमें अध्यक्ष की कार्यवाही को अलोकतांत्रिक बताते हुए उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया गया। शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही प्रारंभ होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि हमने अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव दे दिया है। इसकी स्वीकार्यता को लेकर चर्चा कराई जाए। इस पर संसदीय कार्यमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पहले हमारी बात भी सुन ली जाए, इसके बाद ही कोई बात हो। कांग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने कहा कि हमें अध्यक्ष पर विश्वास नहीं है इसलिए उन्हें आज से ही नैतिकता के आधार पर छोड़ देनी चाहिए। चर्चा शुरू होते ही दोनों पक्षों की ओर से हंगामा हुआ और फिर सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद दोबारा हंगामा शुरू हो गया। सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच कई बार तनातनी हुई। भारी हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पहले सदन में कार्यवाही के दौरान कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार बजट सत्र चलाना ही नहीं चाहती है। यही कारण है कि हंगामा कराया जा रहा है बजट को बिना चर्चा ही पारित कराने का षड्यंत्र किया जा रहा है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन में अध्यक्ष की कोई भूमिका ही नहीं है प्रस्ताव में ने स्वयं रखा था सदन में बहुमत के आधार पर निर्णय किया है अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नियम प्रक्रिया से हैं हम अपनी बात रखें फिर विपक्ष अपनी बात रखें इस दौरान उन्होंने एक मार्शल को हटाए जाने को लेकर इशारा किया तो विपक्ष के सभी सदस्य खड़े होकर विरोध जताने लगे उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री गुंडागर्दी पर उतर आए हैं यह नहीं चलेगा इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि मेरे सामने अभी अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया है। जब आएगा, तब देखेंगे।
किताब को लेकर तकरार
कांग्रेस विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा को सदन से निलंबित करने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री ने नियम संचालन पुस्तिका मेरी ओर जोर से फेंककर मारी। उनका यह आचरण संसदीय परंपराओं के विरुद्ध है। डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने इस पर खेद जताते हुए कहा कि चपरासी को बीच से हटाने के दौरान किताब गिर गई।
नरोत्तम ने कसा तंज
उधर, सदन की कार्यवाही स्थगित होने के दौरान संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सदन से बाहर आकर मीडियाकर्मियों से बातचीत में इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर तंज किया। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व विधायक कमलनाथ जी ने नही किए दस्तखत। आधे विधायको के भी हस्ताक्षर नही है प्रस्ताव में। बेचारे जीतू पटवारी को कांग्रेस ने अकेला छोड़ा। जीतू पटवारी मामले में कांग्रेस की हालत शोले फ़िल्म की तरह हुई, आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ, बाकी मेरे पीछे आओ।
गोविंद सिंह बोले, गुमराह कर रहे नरोत्तम
नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने कहा कि कल ही हमारे नेता कमल नाथ ने सभी विधायकों के साथ बैठक करके सामूहिक रूप से यह तय किया था कि नेता प्रतिपक्ष और विधायक अविश्वास प्रस्ताव देंगे। नियम 10% सदस्यों के हस्ताक्षर से प्रस्ताव देने का है, उससे कई गुना ज्यादा विधायकों को हस्ताक्षर करके प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। भाजपा शुरू से ही गुमराह करती है। पूरी पार्टी एकजुट है और सरकार की तानाशाही का डटकर मुकाबला करेगी।
इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पूर्व संसदीय कार्य मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा अध्यक्ष के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर कहा कि उनकी भूमिका आंशिक है। प्रस्ताव मेरे द्वारा लाया गया था। अध्यक्ष ने उन्हें निलंबित नहीं किया, बल्कि मेरे प्रस्ताव पर सदन ने यह निर्णय लिया है। अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना उनके ज्ञान को दिखाता है। हम सभी को ताकत सदन से ही मिलती है, लेकिन जिस तरह का आचरण उनके द्वारा किया गया, वह इसके पूर्व अभी नहीं हुआ।