प्रदेश में महक रहे त्योंथर के लाल, लगातार बढ़ रहा बघेली साहित्य का ग़ुलाल

एक शिक्षक इतिहास पढ़ाते भी हैं और नया इतिहास बनाते भी हैं। यह पंक्ति हाल ही में मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदत्त शिक्षकीय जिम्मेदारी से सेवानिवृत हुए श्री सुधाकान्त मिश्र “बेलाला” जी पर ख़ूब फब्ती है। उनकी बघेली भाषा में उकेरी गई कविताएँ, छंद, व्यंग आदि बड़े – बड़े मंचो पर रस घोलती रही हैं। बैजू सम्मान से सम्मानित “बेलाला” जी के साहित्यिक सफ़र में एक और साहित्यिक अध्याय जुड़ गया है।

संस्कृति एवं साहित्य शोध समिति मध्यप्रदेश के प्रथम वार्षिक अधिवेशन सह पुस्तक विमोचन,अलंकरण-सम्मान समारोह

हाल ही में श्री सुधाकान्त मिश्र “बेलाला” जी को बघेली बोली में रची बसी निबन्ध/आलेख संग्रह “बघेली गद्य गंगा” के लिए “प्रसिद्ध कवि स्व चित्रसेन जी राणा स्मृति साहित्य गौरव अलंकरण -2023” प्रदान किया गया है। जानकारी के मुताबिक परिचर्चा की कड़ी में सोलल संस्कारों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए “बेलाला” जी ने सोलह संस्कारों का विस्तृत विवेचन करते हुए वर्तमान समय में उसकी आवश्यकता और महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए और कवि सम्मेलन के दौरान छंदो की प्रस्तुति भी दी, जिसके बाद तालियों की गूंज ने उनकी महक को और फैला दिया।

“वैदिक षोडस संस्कारों का स्वरूप – कल – आज – और कल” एवं कवि सम्मेलन स्थानीय जटाशंकर त्रिवेदी शास स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट में दिनाँक 12 फरवरी 2023 को प्रो. एल सी जैन की अध्यक्षता में सानन्द सम्पन्न हुआ। सम्मलेन में बालाघाट की माटी पर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ आदि जगहों के साहित्यकार मौजूद रहे।

आपके सुझाव एवं शिकायत का स्वागत है, साथ ही ख़बर देने के लिए संपर्क करें – +919294525160

Leave a Comment

error: Content is protected !!

शहर चुनें

Follow Us Now

Follow Us Now