यज्ञों की पावन स्थली हनुमान जी स्वामी मंदिर प्रांगण में 11 दिवसीय भक्ति ज्ञान महायज्ञ का आयोजन चल रहा है। इस बीच व्यासगादी पर विराजमान आचार्य वरुण ने भूतभावन भगवान शिव की लीलाओं का वर्णन किया।
भगवान शिव हैं अजन्मा देवाधिदेव, उनकी उपासना से मिटते हैं पाप
हनुमान गद्दी के व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य वरुण शुक्ला ने बताया कि भगवान आदिदेव अजन्मा देवाधिदेव हैं। उन्होंने अपनी ही माया से इस सृष्टि को उन्होंने रचा है। उन्होंने कहा कि भगवान के 3 अवतार ब्रह्मा विष्णु महेश स्वयं वही हैं और अपनी ही लीला करते रहते हैं। प्रभु को जब सृष्टि निर्माण करना होता है तो श्रृष्टि रचयिता ब्रह्म का रूप लेते हैं, जब पालन करना होता है तो भगवान विष्णु का स्वरूप लेते हैं और जब अनाचार अत्याचार बढ़ता है और नई सृष्टि की स्थापना करनी होती है तो पुरानी श्रृष्टि का संहार भी वही करते हैं।
भगवान भोलेनाथ की कृपा सभी जीवो पर रहती है और सभी जीव अपने कर्म के अनुसार फल पाते हैं। आचार्य ने बताया कि हमें निरंतर अच्छे मनोभाव के साथ ईश्वर की आराधना और उपासना में रहते हुए इस संसार सागर के अपने विहित कर्मों को करते रहना चाहिए।
पावन धरा कैथा में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के पावन उपलक्ष पर शिवमहापुराण भक्ति ज्ञान महायज्ञ का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम का विसर्जन हवन एवं विशाल भंडारे के साथ महाशिवरात्रि के दिन होता है जिसमें समस्त भक्तों और श्रद्धालुओं को हवन और विशाल भंडारे में प्रसाद ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया गया है। (शिवानंद द्विवेदी, आरटीआई कार्यकर्त्ता)
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