अलग – थलग : विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम

मंत्रि-परिषद द्वारा पशुपालन एवं डेयरी विभाग में वर्ष 2022-23 में “मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना’’ में 150 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है। राज्य की विशेष पिछड़ी जनजाति विशेषकर बैगा जनजाति को पशुपालन से जोड़ने के लिए पायलट प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन करने एवं इसमें हितग्राहियों को दुधारू पशु प्रदाय करने के लिए मुख्यमंत्री दुधारू गाय प्रदाय कार्यक्रम को पशुपालन विकास योजना में सम्मिलित किया गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों को पशुपालन से जोड़ कर रोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध कराना है।

कार्यक्रम के क्रियान्वयन के बाद राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों को रोजगार के नवीन अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही दूध के रूप में संपूर्ण पोषण आहार प्राप्त होगा। पशुपालन एवं डेयरी विभाग अंतर्गत पूर्व में मंत्रि-परिषद से स्वीकृत मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना में समाहित विशेष पिछड़ी जनजातियों हेतु स्वीकृत घटक “मुख्यमंत्री दुधारू गाय प्रदाय कार्यक्रम” में संशोधन किए गए हैं। अब इस योजना में मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम में बैगा जनजाति के साथ सहरिया और भारिया विशेष पिछड़ी जनजातियों को भी शामिल किया गया। कार्यक्रम में दुधारू गाय की इकाई के साथ दुधारू भैंस की इकाई को भी शामिल किया गया। कार्यक्रम में दुधारू गाय के साथ दुधारू भैंस को भी सम्मिलित करने के परिप्रेक्ष्य में योजना का नाम “मुख्यमंत्री दुधारू गाय प्रदाय कार्यक्रम” के स्थान पर “विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम’’ किया गया।

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