त्योंथर। आज कि भाग – दौड़ भरी जिंदगी में सबसे ज्यादा किल्लत समय कि है। हम चाहे जितना कोशिश कर लें लेकिन घर के लिए सामान खरीदने से लेकर बीबी – बच्चों के जरुरत का सामान खरीदने के लिए बाजार नहीं जा पाते हैं। जिसकी वजह से परिवार के पास एक ही विकल्प बचता है और वो है ऑनलाइन ख़रीददारी। और यहीं से शुरू हो जाता है मासूम ग्राहकों का धोखा खाना। बड़े – बड़े शहरों से गांव कि ओर पैर पसार रहीं ऑनलाइन सामान बेचने वाली कम्पनियाँ पहले तो ग्राहकों को लुभाने के लिए बाजार भाव से सस्ते दरों में सामानों कि लम्बी कतार लगा देती हैं। जिसकी वजह से ग्राहक पहले तो अपने जरुरत कि चीज़ों के लिए प्लेटफॉर्म में जाता है लेकिन फिर कंपनियों के हवाले हो जाता है। कई बार तो ग्राहक बाजार भाव से सस्ते दामों के चक्कर में ऐसा फंस जाता है कि जिन चीज़ों से उसको मतलब भी नहीं वो भी मगवा लेता है।
फ्लिपकार्ट कि धोखाधड़ी
आज के दौर में जब कि सरकार लगातार सूचना एवं प्रसारण को मज़बूत करने में लगी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ चालाक कंपनियों के मालिक कोई न कोई जुगाड़ निकाल कर ग्राहकों को ठगने में पीछे नहीं रहते हैं। ताज़ा मामला रीवा जिले कि त्योंथर तहसील क्षेत्र का है जहाँ हाल ही में एक ग्राहक द्वारा कुछ सामान मगाया गया था। सामान को खरीदते वक़्त वापसी का विकल्प भी था, जिसका स्क्रीनशॉट ग्राहक के पास उपलब्ध है। लेकिन जब ग्राहक मिले सामान से असंतुष्ट हुआ तो उसने समय सीमा के अंदर सामान कि वापसी करनी चाही तो विकल्प मिला बदलने का। ग्राहक सामान बदलने के लिए भी तैयार था। लेकिन तक़रीबन महीने भर बीत चूका है और फ्लिपकार्ट जैसी नामी गिरामी कंपनी सिर्फ तारीख़ पर तारीख़ दे रही है। ठगी से परेशान ग्राहक कई बार मदद के लिए फ्लिपकार्ट ग्राहक सेवा केंद्र में भी बात कर चुका है। जहाँ उसे चिकनी – चुपड़ी बातें कर के बहला दिया जाता है।
चालू कंपनी के सामान को दिखाते है ब्रांड
हाल ही में सरकार द्वारा कई ऑनलाइन सामान बेंचने वाली कंपनियों पर नियम विरुद्ध दुकानदारी के वजह से कार्यवाई कि जा चुकी है। बावज़ूद इसके अभी भी फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों में चालू कंपनी का माल सूची में दिख जाता है। जिनके बॉक्स में न तो कोई ब्रांड लिखा होता है और न ही कोई पता। मतलब ग्राहक सामान ख़रीदने के बाद उल्लू कि तरह फ्लिपकार्ट कि तरफ राह तके बैठा रहे कि कब उसको सही सामान मिलेगा। कई बार ग्राहक थकहार कर फ्लिपकार्ट ग्राहक सेवा केंद्र में न तो फ़ोन करता है या फिर जागरूकता कि कमी कि वजह से ये समझ लेता है कि उसका पैसा डूब गया है। जिसका सीधा फायदा कंपनी को हो जाता है।
ऐसे में सवाल शासन – प्रशासन कि ओर उठता है कि ऐसी धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों पर कार्यवाई क्यों नहीं होती है ?
( चन्दन भइया, रीवा )
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