रीवा, मप्र। दयानन्द यादव खेती बाड़ी करके अपना जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 10 एकड़ खेत में धान, गेंहू एवं दलहन की फसल लेता था। उन्नत तरीके से खेती करने से अच्छी उपज हो जाती थी। खेतों में रासायनिक खाद की जगह जैविक
खाद्य का उपयोग करता था। खेती में कृषि यंत्रीकरण का उपयोग करता था इससे अच्छी उपज होती थी। उन्होंने बताया कि
डभौरा के नस्टिगवां ग्राम में कृषि वैज्ञानिकों से मुलाकात कर फसल विविधीकरण अपनाया जिससे अच्छा लाभ हुआ।
दयानन्द ने बताया कि उन्होंने खेती के साथ ही सब्जी एवं फल का उत्पादन लेना प्रारंभ किया। सब्जी गांव में ही बिक जाती थी। इलाहाबादी अमरूद एवं आम की फसल बेचने के लिये विस्तृत बाजार जिससे प्रचुर मात्रा में फल बेचने पर अच्छा लाभ होता था। दयानन्द ने बताया कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने सममत पशु प्रजनन कार्यक्रम के अन्तर्गत मुर्रासाड़ प्रदाय योजना की जानकारी दी। मैंने 45 हजार रूपये की लागत से मुर्रासाड़ खरीदा इसमें 33750 रूपये अनुदान प्राप्त हुआ। मेरे पास 10 भैंस है। मुर्रासाड़ की सहायता से कृत्रिम गर्भाधान कर मैंने देशी भैंस से उन्नत किस्म की मुर्रा भैंस हुई। जैसे ही मुर्रासाड़ की जानकारी ग्रामवासियों को हुई उन्होंने भी अपनी भैंसों का कृत्रिम गर्भाधान कराया पशुपालकों की भैंसों का कृत्रिम गर्भाधान करने का शुल्क 300 रूपये लेता हूं। इससे मेरी आय में वृद्धि हुई आसपास के ग्रामीण भी अपनी देशी नस्ल की भैंस लेकर आने लगे और मुझसे कृत्रिम गर्भाधान कराकर लाभांवित हुये मेरा यह व्यवसाय चल निकला।
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