रीवा, मप्र। दीपक सेना की सेवा से सेवानिवृत्त होने के पश्चात घर के खाली नहीं बैठना चाहते थे। उन्होंने अपनी आय का साधन बढ़ाने के लिये खेती के साथ पशुपालन का व्यवसाय चुना। दीपक ने बताया कि वे अपने ग्राम महमूदपुर में ही रहकर 20 बकरी एवं बकरा लाकर फार्म खोला। विभिन्न बीमारियों में बकरी का दूध उपयोगी होने और सर्वसुलभ न होने के कारण 80 रूपये लीटर दूध हाथों-हाथ बिक जाता था। बकरी के दूध का विक्रय करने से माह में 50 हजार रूपये की मासिक आय होने लगी। समय-समय पर उन्होंने पशु चिकित्सा विभाग की मदद से बकरियों का टीकाकरण और उपचार कराया इससे उनकी बकरियां पूरी तरह से स्वस्थ्य रहती थी। दीपक ने बताया कि बकरी पालन से उन्हें दोहरा लाभ हुआ। एक ओर तो बकरी का दूध हाथों हाथ बिक जाता था वहीं दूसरी ओर उनके बकरियों की संख्या में वृद्धि हुई। अब उनके फार्म में 40 बकरिया हो गयी। बकरियों की संख्या बढ़ने से अधिक का दूध होने लगा और अधिक मूल्य में दूध विकने लगा। दीपक कुमार ने बताया कि बकरी पालन व्यवसाय अपनाने से मेरा जीवन खुशहाली हो गया।
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