बैतूल, मप्र। सालों से सूखे बोरवेल में तीन दिन से फंसा है मासूम , बचाव दल तक़रीबन 3 फीट कि दुरी पर
शायद ही कोई बचा हो जिसे तनमय के साथ हुए हादसे की जानकारी ना हो। फ़िलहाल आपको याद दिला दें 6 दिसंबर , दिन मंगलवार कि शाम को लुका – छुपी खेलना 6 साल के मासूम तनमय के लिए घातक साबित हुआ। जानकारी मुतबिक तनमय खेलते – खेलते अचानक सालों से खुले पड़े सूखे बोरवेल में गिर गया था , जिसे अब तक निकाला नहीं जा सका है। घटना बैतूल जिले के मांडवी की है।
एक नजर
रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF और DSRF के 61 जवान लगे हैं और शासन – प्रशासन भी लगातार पल – पल कि खबर रख रहे। जानकारी के मुताबिक रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे होमगार्ड कमांडेंट एसआर आजमी ने बताया है कि, बोरवेल में तनमय 39 फीट पर फंसा हुआ है। बच्चों की नॉर्मल हाइट तीन से चार फीट मानकर हमने 44 फीट तक गड्ढा खोदा है। टनल बनाने में NDRF और DSRF के 61 जवान लगे हैं। कलेक्टर, SP, तहसीलदार सभी 3 दिन से यहां तनमय के लिए बैठे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे तक़रीबन 200 से ज्यादा लोगों के लिए निःशुल्क भोजन से लेकर सभी प्रकार की व्यवस्थायें ग्रामीणों द्वारा की जा रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन लगातार राहत कार्य में लगा है।
बोरवेल हादसे किसकी गलती
बैतूल से पहले भी मध्य प्रदेश के कई जगहों जैसे छतरपुर, उमरिया, दमोह में बोरवेल हादसा हो चूका है। जहाँ कुछ हादसों में बच्चों को बचाया नहीं जा सका। कई हादसों के बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर भी दायर कि गईं , जिसपर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नलकूप या बोरवेल में गिरने वाले बच्चों को बचाने के लिए 6 अगस्त 2010 में आदेश पारित किया था। जिसमें नलकूप या बोरवेल को लेकर कुछ गाइडलाइन तय की गई। फैसला तत्कालीन चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया, जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच ने रिट पिटीशन पर सुनाया था। और यह फैसला पुरे देश में लागू है, फिर भी लापरवाही के चलते हादसे वैसे ही हो रहे हैं।
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