अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस 25 नवम्बर से मानवाधिकार दिवस 10 दिसम्बर तक जेंडर आधारित हिंसा रोकथाम जागरूकता अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शासकीय माध्यमिक विद्यालय जोरी में अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों को लिंग समानता, अधिकारों की समझ, हिंसा के विभिन्न रूपों की पहचान और रोकथाम के उपायों के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के के बारे में जानकारी दी गई। अभियान के दौरान विद्यालय परिसर में विद्यार्थियों की रचनात्मकता और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें रंगोली, मेंहदी, भाषण, निबंध, और चित्रकला जैसी गतिविधियां शामिल थीं, जिनमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके लिए जेंडर समानता, महिला सशक्तिकरण, बाल अधिकार और सामाजिक संवेदनशीलता विष्यों को चुना गया था। बच्चों में उत्साह व सहभागिता बढ़ाने के लिए चॉकलेट वितरित किए गए तथा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ममता सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने जोर दिया कि समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और सम्मान सभी की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने विद्यार्थियों को बाल सुरक्षा, शोषण रोकथाम, और हिंसा की स्थिति में उठाए जाने वाले त्वरित कदमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। यह कार्यक्रम जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री नयन सिंह के निर्देशन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी प्रशासक श्रुति मिश्रा, केस वर्कर रेणु गौतम सहित विभागीय टीम उपस्थित रही। टीम ने बच्चों को जेंडर आधारित हिंसा की रोकथाम, पाक्सो एक्ट, महिला एवं बाल सुरक्षा से संबंधित कानून, हेल्पलाइन सेवाएँ 1098 तथा 181 के बारे में जानकारी दी। इसके अतिरिक्त बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, जिला हब फॉर एम्पावरमेंट ऑफ वूमेन, और वन स्टॉप सेंटर सेवाओं सहित महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी साझा की गई, जिससे विद्यार्थियों को सरकारी सहायता तंत्र को समझने और उसका उपयोग करने की प्रेरणा मिली। विद्यालय परिवार और विभागीय अधिकारियों ने एकमत से इस प्रकार के जागरूकता अभियान को समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों को नियमित रूप से संचालित करने की आवश्यकता पर बल दिया।




